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तीन तलाक पर केंद्र सरकार का अड़ियल रुख : मायावती

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सकरार मनमानी करने की आदी हो चुकी है

तीन तलाक पर केंद्र सरकार का अड़ियल रुख : मायावती
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सकरार मनमानी करने की आदी हो चुकी है, इसलिए तीन तलाक के मुद्दे पर भी सरकार ने अड़ियल रुख अख्तियार कर लिया है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार बार-बार मनमानी करती है और उसका बुरा नतीजा जनता को भुगतना पड़ता है। चाहे वह नोटबंदी का अपरिपक्व फैसला रहा हो या फिर जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने का, अब तीन तलाक के मुद्दे पर भी सरकार ने अड़ियल रुख अख्तियार कर लिया है। सरकार को विपक्ष की सलाह भी माननी चाहिए।

मायावती ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2017 पर विपक्ष की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक में संशोधन जरूरी है।

उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि बसपा तीन तलाक विधेयक के पक्ष में है, लेकिन मौजूदा स्वरूप में इसे पास कराने पर मुस्लिम महिलाएं दोहरे अत्याचार की शिकार होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर विधेयक को लेकर अड़ियल रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष की मांग मानते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "जब भी कोई कानून बनता है, तो उससे पहले उस पर गहन विचार-विमर्श और होम वर्क होना चाहिए। लेकिन इस सरकार ने तीन तलाक बिल को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं किया।"

मायावती ने कहा कि वर्तमान विधेयक में सजा का जो प्रावधान किया गया है, वह तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए और भी ज्यादा बुरा होकर उनके लिए दिन-प्रतिदिन की और भी नई समस्याएं पैदा करेगा।

बसपा प्रमुख ने कहा कि मोदी सरकार को इस तरह की कमियों पर खुले मन से विचार करना चाहिए और इसीलिए इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की जा रही है।

मायावती ने कहा कि ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार अपनी मुस्लिम-विरोधी नीति व कार्यकलाप के कारण पूरे समाज को उद्वेलित करना चाहती है, ताकि यह मामला भी 'हिंदू-मुस्लिम' बन जाए और फिर भाजपा अपनी राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ की रोटी सेंकती रहे।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार की नीयत साफ होती, तो तीन तलाक विधेयक को प्रवर समिति को भेजकर बेहतर विधेयक तैयार करने के मामले में हठधर्मिता नहीं अपनाती और ना ही फिर इस मामले में संसद का इतना समय बर्बाद होता।


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