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निषाद समाज के उत्थान हेतु केन्द्र सरकार ने दिया 20 हजार करोड़ : डा संजय निषाद

उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने शुक्रवार को कहा कि निषाद समुदाय के लोगों को अच्छी शिक्षा, मत्स्य पालन को उच्च तकनीक से जोड़ने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के किये केंद्र सरकार ने बजट में 20 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं

निषाद समाज के उत्थान हेतु केन्द्र सरकार ने दिया 20 हजार करोड़ : डा संजय निषाद
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प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालन मंत्री डॉक्टर संजय निषाद ने शुक्रवार को कहा कि निषाद समुदाय के लोगों को अच्छी शिक्षा, मत्स्य पालन को उच्च तकनीक से जोड़ने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के किये केंद्र सरकार ने बजट में 20 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं, जिसके व्यय में निषाद समाज को प्राथमिकता दी जायेगी।

डा निषाद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आवंटित बजट राशि के उपयोग के लिये मत्स्य पालन के लिये 26 प्रकार की योजनायें बनायी गयी हैं। इनमें 60 प्रतिशत महिला व 40 प्रतिशत पुरुषों को लाभान्वित किया जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि निषाद समाज के अलावा अन्य जातियों को भी इस योजना से जोड़ा जायेगा। मत्स्य पालकों को मत्स्य व्यवसाय के लिये स्वीकृत धनराशि पर अनुदान दिया जायेगा और इनका निःशुल्क बीमा भी कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ जिले में अब तक 1750 मत्स्य पालकों का निःशुल्क बीमा कराया जा चुका है और निषाद समाज के 2 हजार लोगों को प्रशिक्षित करने का काम चल रहा है। उन्होंने निषाद समाज को अपने पेशे में लौटने का अनुरोध करते हुये कहा कि वे प्रतापगढ़ जिले को ‘मत्स्यगढ़’ बनाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार पृथक मत्स्य विभाग गठित कर मछुआ कल्याण कोष की स्थापना की है।

डा निषाद ने कहा कि पिछली सरकारों ने निषाद समुदाय के साथ छलावा कर उन्हें पिछड़ी जाति में शामिल कर दिया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 10 महीने पहले उनकी मांग को स्वीकार करते हुये मछुआ समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने को मूर्त रूप देना शुरू कर दिया है।

उन्होंने बताया कि मछुआ समाज की जनसंख्या में 18 प्रतिशत भागीदारी है। जो विभिन्न उपजातियों में बंटे हुये हैं। उन्होंने कहा, “मैं निषाद राज का वंशज हूं। जिनका किला श्रृंगवेरपुर में है। जिसे भाजपा की सरकार ने पर्यटक स्थल घोषित किया है। यह वही श्रृंगवेरपुर है जहां पर वनगमन के दौरान चित्रकूट जाते समय निषाद राज ने राम लक्ष्मण सीता जी को अपनी नाव पर बैठाकर गंगा नदी को पार कराया था।


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