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केंद्र सरकार ने 8 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने शेयर बायबैक करने को कहा

राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कम से कम 8 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने शेयर बायबैक करने को कहा है

केंद्र सरकार ने 8 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने शेयर बायबैक करने को कहा
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राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कम से कम 8 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपने शेयर बायबैक करने को कहा है। इस वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में कम से कम आठ सरकारी कंपनियां शेयर बायबैक ला सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने शेयर बायबैक लाने के लिए 31 मार्च 2021 तक की डेडलाइन तय की है। एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, जिन सरकारी कंपनियों से शेयर बायबैक पर विचार करने को कहा है उनमें कोल इंडिया,एनटीपीसी,एनएमडीसी और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, शेयर बायबैक हमारी रणनीति का महत्वपूर्ण टूल है। इससे कंपनियों के शेयर की मार्केट प्राइस बेहतर करने में मदद मिलती है।

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटा का लक्ष्य जीडीपी के 3.5% के बराबर तय किया है, लेकिन सरकार इस लक्ष्य के आसपास भी नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि राजकोषीय घाटे इस साल GDP के 6 से 7% तक रहने की आशंका है। इसी के कारण सरकार भारत पेट्रोलियम और एयर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन करना चाहती है। अब इससे आगे बढ़ते हुए सरकार ने 8 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को शेयर बाइबैक करने को कहा है। हालांकि, ऑयल सेक्टर की कुछ कंपनियों में सरकार हिस्सेदारी नहीं बेचेगी और न ही ये कंपनियां बाइबैक लाएंगी, क्योंकि इनमें सरकार की हिस्सेदारी केवल 51% बची है।

शेयर बायबैक होता है फायदेमंद

बाजार के जानकारों का कहना है कि शेयर बायबैक कंपनी और निवेशक दोनों के लिए फायदेमंद होता है। निवेशक के लिहाज से शेयर की प्राइसिंग बेहतर होना जरूरी है। वहीं, कंपनी को शेयर बायबैक से अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलती है। हाल ही में वेदांता, टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियां शेयर बायबैक लेकर आई हैं। कंपनी पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए भी प्रमोटर शेयर बायबैक का सहारा लेते हैं। कंपनियों के पास जब कैश होता है तो वे बाजार से शेयर खरीद कर अपनी हिस्सेदारी बढ़ा लेती हैं। यह हिस्सेदारी कंपनी पर कंट्रोल पावर बनाए रखने के लिए बढ़ाई जाती है। प्रमोटर हमेशा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से ज्यादा रखना चाहते हैं।


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