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झारखंड मुक्ति मोर्चा का 14 और 15 अप्रैल को केंद्रीय महाधिवेशन, कई बड़े फैसले संभव

झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) अपने संविधान से लेकर संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव की कवायद में जुटी है

झारखंड मुक्ति मोर्चा का 14 और 15 अप्रैल को केंद्रीय महाधिवेशन, कई बड़े फैसले संभव
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रांची। झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) अपने संविधान से लेकर संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव की कवायद में जुटी है। पार्टी ने 14-15 अप्रैल को रांची के खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत स्टेडियम में 13वां महाधिवेशन आहूत किया है। इसमें कई अहम राजनीतिक फैसलों की तैयारी है।

पार्टी के संविधान संशोधन के लिए गठित उपसमिति ने कई दौर की बैठकों के बाद बदलाव से संबंधित ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि महाधिवेशन में कल्पना सोरेन को पार्टी में अहम पद पर लाने का फैसला भी लिया जाएगा। झारखंड मुक्ति मोर्चा के इस महाधिवेशन को लेकर जिस स्तर पर तैयारियां चल रही हैं, उसके आधार पर यह माना जा रहा है कि यह पार्टी के 50 वर्षों से भी ज्यादा के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण संगठनात्मक जलसा होगा।

इसके पहले पार्टी का 12वां महाधिवेशन 18 दिसंबर, 2021 को रांची में आयोजित हुआ था, जिसमें शिबू सोरेन को लगातार 10वीं बार पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था। पिछले महाधिवेशन के समय कोविड का संक्रमण काल चल रहा था। इस वजह से कोई बड़ा संगठनात्मक निर्णय नहीं लिया जा सका था। इस बार महाधिवेशन में झारखंड समेत ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं कुछ अन्य राज्यों के लगभग चार हजार प्रतिनिधि शिरकत करेंगे।

राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़े बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। इससे पार्टी के संगठन में नीचे से लेकर ऊपर तक नए उत्साह का संचार हुआ है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब नए सिरे से राजनीतिक लक्ष्य निर्धारित करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाने को तैयार है। इसके तहत पार्टी संगठन का विस्तार झारखंड के बाहर के राज्यों में करने की रणनीति भी महाधिवेशन में तय होगी।

बिहार और बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पार्टी की निगाह है। खास तौर पर इन दोनों राज्यों की सीमाओं से सटे जिलों की सीटों को चिन्हित कर अपने उम्मीदवार उतारने पर भी महाधिवेशन में ठोस फैसला हो सकता है। पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष शिबू सोरेन अब स्वास्थ्य कारणों से राजनीतिक तौर पर सक्रिय नहीं हैं, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि उन्हें सर्वसम्मति से 11वीं बार अध्यक्ष चुना जाएगा।

दरअसल, शिबू सोरेन का नाम आज भी पार्टी के लिए सबसे बड़ा संबल है। हेमंत सोरेन पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वह या तो फिर इस पद पर चुने जाएंगे या फिर यह दायित्व कल्पना सोरेन को दिया जा सकता है। पार्टी के जिला और प्रखंड अध्यक्षों को पहले की तुलना में ज्यादा राजनीतिक शक्तियां देने, पार्टी में अहम निर्णयों के लिए हाई पावर कमेटी बनाने जैसे निर्णय भी महाधिवेशन में लिए जा सकते हैं।

वक्फ कानून का विरोध, केंद्र के पास झारखंड का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ की राशि के लिए आंदोलन जैसे राजनीतिक प्रस्ताव भी महाधिवेशन में लाने की तैयारी है। पार्टी के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि यह महाधिवेशन कई मायनों में ऐतिहासिक साबित होगा। महाधिवेशन की तैयारियों को लेकर गुरुवार को पार्टी के केंद्रीय कैंप कार्यालय में आयोजन सह स्वागत समिति की बैठक संपन्न हुई।

इस बैठक में आयोजन सह स्वागत समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य, मंत्री चमरा लिंडा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, अभिषेक प्रसाद, नंदकिशोर मेहता, मनोज कुमार पांडेय सहित अन्य नेता उपस्थित रहे।


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