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केन्द्र तथा प्रदेश सरकारें पुलिस के हाथों को काूनन की सीमा में बांधें :प्रो चावला

सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय जनता पार्टी की पूर्व उपाध्यक्ष प्रो0 लक्ष्मीकांता चावला ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा देश की राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे पुलिस के हाथों को कानून की सीमा

केन्द्र तथा प्रदेश सरकारें पुलिस के हाथों को काूनन की सीमा में बांधें :प्रो चावला
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चंडीगढ़ । सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय जनता पार्टी की पूर्व उपाध्यक्ष प्रो0 लक्ष्मीकांता चावला ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा देश की राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे पुलिस के हाथों को कानून की सीमा में बांधें ।

उन्होंने आज यहां एक बयान में कहा कि नए ट्रैफिक नियमों को लागू करने वाली पुलिस मानवता भूल गई। अपनी ड्यूटी भूल गई और जिस ढंग से इन दिनों चालान करने के नाम पर लोगों को बर्बरता से पीटा जा रहा है उसका क्रूर उदाहरण कल यूपी के सिद्धार्थ नगर से पूरे देश ने देखा। उस व्यक्ति का विशेष धन्यवाद जिसने पुलिस की यह गैर इंसानी हरकत पूरे देश को दिखाई, पर अफसोस यह भी है कि सड़कों पर खड़े दूसरे लोग अपनी चमड़ी की चिंता में खड़े रहे। न केाई पिटते युवक को बचाने आया और न ही उसकी बेटी को संभालने।

प्राे0 चावला ने सरकार से सवाल किया कि क्या जो हेल्मेट नहीं पहनेगा उसे जान से मार दोगे? पुलिस वालों को वर्षों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने कहा था कि यह गुंडों का संगठित गिरोह है। अब तो सड़कों पर इनका असली रूप दिखाई देने लग गया। वैसे भी कहीं अस्सी हजार रुपये का चालान, कहीं एक लाख 41 हजार का चालान और कहीं दो लाख से ज्यादा का ट्रक वाले का चालान क्या हिंदुस्तान के आम आदमी में इतनी बड़ी जुर्माना राशि देने की हिम्मत है? अच्छा हो सरकार पुलिस वालों के साथ इनकम टैक्स वालों को भी सड़कों पर भेज दे कि जो बड़ा जुर्माना दे उसकी आमदनी का स्रोत भी पूछा जाए।

उन्होंने कहा कि जनता को यह अधिकार दिया जाए कि चालान करने वाली मशीनरी स्वयं कानून का पालन नहीं करती तो उसे सड़क पर रोक कर जनता पूछे और उनके चालान करे। यह ठीक है कि इससे अराजकता पैदा होगी, पर इस अराजकता की जिम्मेवार वे सरकारें होंगी जो कानून बनाते समय देश की असलियत को नहीं समझतीं।

उन्होंने उन सांसदों से सवाल किया जिन्होंने आंखें बंद करके केवल वफादारी निभाते हुए संसद में कोई भी किंतु परंतु किए बिना इसे पास कर दिया। अच्छा हो ये बड़े लोग छह महीने के लिए यह कानून केवल पुलिस, वीआईपी, सांसद और विधायकों तथा उनके परिवारों पर लागू करे। वैसे पहले पुलिस को ट्रेनिंग दी जाए कि जनता से कैसा व्यवहार करना है।

सरकारें साावधान रहें, जनता हमेशा के लिए तंत्र की गुलाम नहीं हो सकतीं, क्योंकि यहां लोकतंत्र है।


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