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कनाडा से 700 पंजाबी छात्रों के निर्वासन को रुकवाए केंद्र : सुखबीर बादल

शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को विदेश मंत्री डाॅ एस जयशंकर से 700 पंजाबी छात्रों का कनाडा से निर्वासन रुकवाने के लिए केंद्र हस्तक्षेप करने की मांग की

कनाडा से 700 पंजाबी छात्रों के निर्वासन को रुकवाए केंद्र : सुखबीर बादल
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चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को विदेश मंत्री डाॅ एस जयशंकर से 700 पंजाबी छात्रों का कनाडा से निर्वासन रुकवाने के लिए केंद्र हस्तक्षेप करने की मांग की।

श्री बादल ने यहां जारी बयान में कहा कि छात्रों को बिना किसी गलती के कनाडा से निर्वासित किया जा रहा, उनके मामले को कनाडा के अधिकारियों के समक्ष उठाया जाये।

विदेश मंत्री को लिखे पत्र में अकाली दल अध्यक्ष ने कहा है कि ओंटारियों के एक पब्लिक काॅलेज में दाखिला पत्र फर्जी पाए जाने के बाद कनाडा की कैनेडियन बाॅर्डर सर्विसेज एजेंसी (सीबीएसए) से डिपोर्टेशन लेटर प्राप्त करने वाले 700 छात्रों को एक एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस कंपनी ने ठगा है। श्री बादल के अनुसार छात्र उस कंपनी द्वारा घोटाले के शिकार हुए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने से न सिर्फ उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा, बल्कि उन 700 छात्रों के परिवारों पर बिजली की तरह गिरेगा क्योंकि छात्रों के माता-पिता ने कनाडा में अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई खर्च की है।

श्री बादल ने कहा कि छात्रों ने उस कंपनी को 16 से 20 लाख रुपये तक का भुगतान किया है, तथा उस कंपनी ने नकली शुल्क जमा रसीदों के साथ नकली प्रवेश पत्र तैयार करके ओंटारियों के हंबर काॅलेज में उनके एडमिशन की सुविधा प्रदान की ।

उन्होंने कहा, “ कनाडा दूतावास द्वारा इसके आधार पर छात्रों को वीजा दिया गया था। ”

श्री बादल ने कहा कि कनाडा पहुंचने पर कंपनी ने छात्रों को सूचित किया कि हंबर यूनिवर्सिटी में उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया है और पांच से छह लाख के बीच कमीशन लेकर उन्हे दूसरे संस्थान में एडमिशन की सुविधा प्रदान की गई।

श्री बादल के अनुसार घोटाला तब सामने आया जब कुछ छात्रों ने स्थायी निवास (पीआर) के लिए आवेदन किया और उन दस्तावेजों की जांच की गई।

उन्होंने कहा, “ तथ्य यह है कि कपंनी की तरफ से छात्रों को स्व-आवेदकों के रूप में उनके आवेदन पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया, इसीलिए जालसाजी का दोष उन पर डाल दिया गया। यह भी तथ्य है कि छात्रों को वीजा जारी करने वाले कनाडा दूतावास ने उनके काॅलेज के ऑफर लेटर की जांच पहले ही की होती तो इस धोखाधड़ी का बहुत पहले पता चल जाना था। ”

श्री बादल ने विदेश मंत्री से पूरे मामले के बारे कनाडा सरकार को अवगत कराने का आग्रह किया और कहा कि भारत सरकार की तरफ से कनाडा के अधिकारियों से मानवीय आधार पर इस मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया जाना चाहिए।


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