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अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने तक केंद्र को राज्यों को संभालने चाहिए : अशोक गहलोत 

कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा में बेहतरीन काम करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चहुंओर प्रशंसा की जा रही है।

अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने तक केंद्र को राज्यों को संभालने चाहिए : अशोक गहलोत 
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जयपुर | कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा में बेहतरीन काम करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की चहुंओर प्रशंसा की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ की गई वीडियो कांफ्रेंस में भीलवाड़ा मॉडल के तहत कोरोना महामारी से लड़ने के लिए शुरू की गई नई पहल पर गहलोत को बधाई दी।

राज्य में पेश की जा रही नई पहल के बारे में अधिक जानने के लिए आईएएनएस ने एक साक्षात्कार में गहलोत से बात की।

राजस्थान में कोविड-19 संकट के खिलाफ लड़ाई में गहलोत अग्रणी के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। उन्होंने ई-साक्षात्कार में इस लड़ाई के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान शायद देश का पहला राज्य है, जिसने गरीबों और निराश्रितों के लिए 3,000 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि केंद्र को तब तक राज्यों को संभालने की जरूरत है, जब तक कि उनकी अर्थव्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ जाती। गहलोत ने राज्यों के लिए प्रोत्साहन पैकेज की भी मांग की है।

साक्षात्कार के प्रमुख अंश:

प्रश्न: सफल भीलवाड़ा मॉडल के लिए राजस्थान की दुनिया भर में चर्चा की जा रही है। सकारात्मक परिणाम सामने हैं, लेकिन क्या हम यह जान सकते हैं कि इस मॉडल को सफल बनाने के लिए इस टेक्सटाइल औद्योगिक शहर में क्या चुनौतियां देखी गईं और इन चुनौतियों का समाधान कैसे किया गया?

उत्तर: भीलवाड़ा मॉडल का सार यह है कि यहां कर्फ्यू का कड़ाई से पालन किया गया और जिले की पूरी आबादी की स्क्रीनिंग की गई।

भीलवाड़ा चुनौती इस मायने में अद्वितीय रही कि कोरोना संक्रमण एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों में पाया गया और इसकी जानकारी के बिना ही डॉक्टर बड़े स्तर पर रोगियों की जांच करते रहे। इस संक्रमण के स्रोत का भी नहीं पता था।

इसके अलावा 30 लाख से अधिक आबादी की स्क्रीनिंग और परीक्षण के साथ ही संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करके उन्हें एकांतवास में करना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसके लिए लोगों की व्यापक काउंसलिंग की जानी थी।

लगभग 2,000 टीमों ने शहर की पूरी आबादी की स्क्रीनिंग के लिए डोर-टू-डोर सर्वे किया और इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण दिखाने वाले लोगों पर घर में एकांतवास को लागू किया और अगर आवश्यक हुआ तो आगे का परीक्षण भी किया गया।

प्रश्न: इस मॉडल को कनाडा में भी साझा किया गया है; वहां से कोई प्रतिक्रिया आई?

उत्तर: कनाडा में भारत के राजदूत ने भीलवाड़ा मॉडल में गहरी रुचि दिखाई और उन्होंने कनाडा सरकार के साथ मॉडल साझा किया। मॉडल की सफलता इससे पता चलती है कि 27 में से 25 पॉजिटिव मामले पूरी तरह से ठीक हो गए हैं और घर लौट गए हैं। मुझे कनाडा सरकार की किसी विशेष प्रतिक्रिया की जानकारी नहीं है।

प्रश्न: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम योजना के तहत गेहूं खरीदने की आपकी हाल की घोषणा अभी तक गरीबों के लिए एक बहुत ही सकारात्मक पहल है। गरीबों की दुर्दशा को ठीक करने के लिए राज्य सरकार की योजना क्या है?

उत्तर: राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव व्यवस्था करने में सक्रिय है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे। हमने एफसीआई से बाजार मूल्य पर गेहूं खरीदने का फैसला किया है, यानी 21 रुपये प्रति किलोग्राम और इसे 60 लाख जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा। हमारा शायद देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसने गरीबों और निराश्रितों के लिए 3,000 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।

बीएलपी, स्टेट बीपीएल और एनएफएसए के तहत आने वाले परिवारों को दो महीने के लिए प्रति व्यक्ति 10 किलो गेहूं प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

इन सभी पहल के अलावा 33 लाख गरीब लोगों को 2,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के अंतर्गत नहीं आते हैं। इनमें निर्माण मजदूर, दैनिक वेतन भोगी, स्ट्रीट वेंडर और अन्य वंचित लोग शामिल हैं। इन लोगों को सूखा राशन या मुफ्त में खाने के पैकेट भी दिए जाएंगे।

एक सप्ताह से भी कम समय में 78 लाख से अधिक लोगों को दो महीने की सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान किया गया है।

प्रश्न: आर्थिक अस्थिरता के मामले में आपको कोविड-19 संकट के दौरान क्या चुनौतियां दिखती हैं और राज्य सरकार इस संकट से किस प्रकार निपटेगी?

उत्तर: राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और तेज गति से विकास सुनिश्चित करने की दृष्टि से अरविंद मायाराम (सेवानिवृत्त वित्त सचिव, भारत सरकार) की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठन किया गया है।

सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ निरंतर चर्चा के माध्यम से सक्रिय दृष्टिकोण के साथ उचित कदम उठाए जाएंगे।

प्रश्न: केंद्र सरकार से आप क्या अपेक्षा कर रहे है? आप पत्र लिख रहे हैं और प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंस भी कर रहे हैं। क्या दिल्ली से कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया मिली है?

उत्तर: हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार सभी राज्यों के लिए प्रोत्साहन पैकेज लेकर आएगी। केंद्र सरकार को राज्यों को तब तक संभालने की जरूरत है, जब तक उनकी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ जाती।


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