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केंद्र उसना चावल लेने पर शीघ्र सहमति दे : मोहन मरकाम

मोहन मरकाम ने उसना चावल मामले में केंद्र सरकार द्वारा अभी तक राज्य सरकार के अनुरोध पर निर्णय नहीं लिए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में अभी तक 8 लाख 59हजार किसानों ने अपना धान बेच दिया है

केंद्र उसना चावल लेने पर शीघ्र सहमति दे : मोहन मरकाम
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रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने उसना चावल मामले में केंद्र सरकार द्वारा अभी तक राज्य सरकार के अनुरोध पर निर्णय नहीं लिए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में अभी तक 8 लाख 59 हजार किसानों ने अपना धान बेच दिया है। 31 लाख 14 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। इस वर्ष राज्य सरकार ने 105 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। इस वर्ष धान खरीदी के साथ कस्टम मिलिंग के लिये धान उठाव का काम भी तेजी से चल रहा ताकि खरीदी केंद्रों पर जाम की स्थिति न निर्मित हो। राज्य सरकार से इस साल केंद्र सरकार ने 61.5 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पुल में लेने की स्वीकृति दिया है। केंद्र ने इस वर्ष राज्य से उसना चावल नहीं लेने का निर्णय लिया है।

केंद्र के द्वारा छत्तीसगढ़ से उसना चावल नहीं लेने के राज्य का लगभग 45 फीसदी धान के बारे में अनिर्णय की स्थिति बनेगी क्योंकि छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाला धान 45 फीसदी उसना प्रजाति का है, ऐसे में छत्तीसगढ़ के सामने उसना चावल के समाधान की बड़ी समस्या पैदा होगी। साथ ही राज्य के 500 से अधिक राईस मिलें जिसमें उसना चावल की प्रोसेसिंग होती है वे बंद हो जायेगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के सामने आने वाली इस समस्या के मद्देनजर केंद्र से अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर छत्तीसगढ़ से उसना चावल लेने का अनुरोध किया है। धान खरीदी को 17 दिन से अधिक बीत गये केंद्र सरकार ने अभी तक छत्तीसगढ़ के उसना के संबंध में कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया। केंद्र का यह रवैया राज्य के किसानों के सामने संकट पैदा करने वाला है। राज्य सरकार इस साल 105 लाख मीट्रिक टन की रिकार्ड खरीदी करने वाली है।

केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के चावल के संबंध में निर्णय नहीं लेगी तो राज्य सरकार धान के इस ढेर को लेकर कहां जायेगी? श्री मरकाम ने कहा कि भाजपा सरकार का यह रवैया राज्य की धान खरीदी को बंद करवाने का षडय़ंत्र नजर आ रहा है। संघीय ढांचे में राज्य से कृषि ऊपज का उपार्जन केंद्र का दायित्व है। भाजपा की केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के मामले में लगातार राज्य के हितों के खिलाफ निर्णय लेती है।

छत्तीसगढ़ को बारदाना देने में भी मोदी सरकार का रवैया राज्य के लिये असहयोगात्मक है। भाजपा के छत्तीसगढ़ के नेता भी केंद्र की चाटुकारिता में राज्य के हितों के खिलाफ बातें करते है। भाजपा छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का विरोध करते-करते राज्य के किसानों का विरोध करने लगी है।


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