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केरल की मदद के लिए केन्द्र सरकार को अपने कर्तव्यों को निर्वहन करना चाहिए: मायावती

बहुजन समाज पार्टी(बसपा) अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किये जाने का आरोप लगाया

केरल की मदद के लिए केन्द्र सरकार को अपने कर्तव्यों को निर्वहन करना चाहिए: मायावती
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी(बसपा) अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किये जाने का आरोप लगाते हुये कहा है कि शताब्दी की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहे केरल की मदद के लिये केन्द्र सरकार को अपने कर्तव्यों को निर्वहन करना चाहिये।

मायावती ने आज जारी बयान में कहा है दक्षिण भारत के राज्य केरल के लाखों परिवार इस शताब्दी के सबसे भीषण बाढ की आपदा से जूझ रहे है। वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं। केन्द्र सरकार गैेर भाजपा शासित इस राज्य के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होने कहा कि बसपा कड़े शब्दों में इसकी निन्दा करती है। केन्द्र सरकार को अपने कर्तव्यो का निर्वहन करना चाहिये तथा वहां के लोगों को राहत, सहायता तथा पुनर्वास में सहयोग करना चाहिये। देश के लोगों की भलाई के लिये अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी भी कानून को आड़े नहीं आने देना चाहिये।

उन्होने कहा कि बाढ़ से पूरा केरल तथा कर्नाटक के कुछ भाग भी काफी ज्यादा प्रभावित हुये हैं। पूरे देश के लोग तथा विभिन्न संस्थाये भी अपने-अपने स्तर पर केरल के लोगों की हर प्रकार से मदद करने में जुटी है। केन्द्र सरकार का रवैया इस मामले में पूरी तरह से गंभीर तथा संवेदनशील न होकर उदासीन है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार को केरल की भीषण तबाही को “ राष्ट्रीय आपदा’’ घोषित करना चाहिये लेकिन संकीर्ण राजनीति के चलतेे भाजपा नीत सरकार ऐसा नही कर रही है। केरल को अपने स्तर पर अतिरिक्त संसाधन जुटाने की अनुमति देनी चाहिये। उन्होने कहा केेन्द्र सरकार इसके लिये गंभीर नही है।

केरल के लाखो परिवार पिछले साै वर्षो की बाढ़ की सबसे ज्यादा भयानक प्राकृतिक विपदा तथा विपत्ति झेल रहे हैं। इनकी सबसे बड़ी समस्या राहत तथा पुनर्वास की है, जिसके लिये केन्द्र सरकार को पूरी गंभीरता से आगे आने की जरूरत है। केन्द्र सरकार केवल खोखली बयानबाजी तथा घोषणाओं से ही संतुष्ट नजर आती है तथा इनके मंत्री राज्यों के साथ वाद-विवाद में ही उलझे हुये हैं। केरल के करीब दस लाख परिवारों ने अपना घरबार खो दिया है।

उन्होने कहा कि इसके अलावा उत्तराखण्ड तथा उत्तर प्रदेश मे भी बाढ़ के हालात से काफी क्षेत्रों में जन-जीवन प्रभावित है। इसके लिये इन राज्यों की सरकारों को लापरवाही तथा उदासीनता के बजाय पूरी गंभीरता एवं तत्परता से काम करने की जरूरत है। मंत्रियोें के हवाई दौरे से ज्यादा बाढ़ पीड़ित जिलों के स्थानीय ज़िला प्रशासन की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त कर आवश्यक संसाधन मुहैया कराने की जरूरत है, ताकि सही मायने में बाढ़ पीडितों को राहत पहुँच सके।


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