केंद्र ने हितधारकों के परामर्श से आईपीसी, सीआरपीसी में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की
सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि उसने सभी हितधारकों के परामर्श से आपराधिक कानूनों-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में व्यापक संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है

नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि उसने सभी हितधारकों के परामर्श से आपराधिक कानूनों-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में व्यापक संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने यह भी कहा कि सभी को सस्ता और त्वरित न्याय प्रदान करने और एक जन-केंद्रित कानूनी संरचना बनाने के उद्देश्य से प्रक्रिया शुरू की गई है।
उच्च सदन में एक प्रश्न के उत्तर में गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि आपराधिक कानूनों में सुधार के सुझाव के लिए कुलपति, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
गृह मंत्रालय ने राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों (एलजी) और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों, भारत के मुख्य न्यायाधीश, विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, विभिन्न राज्यों के बार काउंसिल से भी सुझाव मांगे हैं।
उन्होंने सदन को यह भी बताया कि गृह मामलों पर विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 146वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि देश में आपराधिक न्याय प्रणाली की व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है।
मिश्रा ने कहा कि इससे पहले संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 111वीं और 128वीं रिपोर्ट में संबंधित अधिनियमों में टुकड़ा-भोजन संशोधन लाने के बजाय संसद में एक व्यापक कानून पेश करके देश के आपराधिक कानूनों को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
मंत्री ने कहा कि सरकार समिति की सिफारिशों और सभी हितधारकों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक कानून लाने के लिए प्रतिबद्ध है।


