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केन्द्र जम्मू-कश्मीर में लिथियम खनन की नीलामी के लिए बेकरार

जम्मू-कश्मीर एक अशांत राज्य है और सीमा पार आतंकवादी हमलों का एक पसंदीदा लक्ष्य है

केन्द्र जम्मू-कश्मीर में लिथियम खनन की नीलामी के लिए बेकरार
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- नन्तू बनर्जी

जम्मू-कश्मीर एक अशांत राज्य है और सीमा पार आतंकवादी हमलों का एक पसंदीदा लक्ष्य है। सरकार निजी उद्यमियों को लिथियम और अन्य अलौह धातुओं का खनन करने के लिए किस तरह की सुरक्षा प्रदान करेगी? कई देशों ने लिथियम खनन का कार्य राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को इस आधार पर सौंपा है कि यह एक रणनीतिगत खनिज है।

यह समझना मुश्किल है कि सरकार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में हाल ही में खोजे गयेलिथियम के बड़े भंडार को चालू वर्ष के खतम होने से पहले ही निजी कंपनियों को नीलाम करने की इतनी हड़बड़ी में क्यों है। केंद्रीय खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा है कि मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को लिखा है कि वह निजी कंपनियों को लिथियम नीलामी के लेन-देन के लिए जल्द ही सलाहकार नियुक्त करे।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा रियासी जिले में दुर्लभ अलौह खनिज भंडार का प्रारंभिक अनुमान 5.9 मिलियन टन है। रियासी में लिथियम का खान एक ही स्थान पर दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है। लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बैटरी में प्रमुख घटकों में से एक है।

लगभग दो साल पहले, भारत के परमाणु खनिज निदेशालय (एएमडी) द्वारा प्रारंभिक सर्वेक्षण में कर्नाटक के मांड्या जिले के मरलागल्ला-अल्लापटना क्षेत्र के पेगमाटाइट्स में 1,600 टन लिथियम संसाधनों की उपस्थिति पाई गई थी। बाद में, खदान भंडार के अनुमान को संशोधित कर 14,100 टन कर दिया गया।
आदर्श रूप से, सरकार को लिथियम खनन की कवायद का नेतृत्व करने के लिए एक सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम की स्थापना करनी चाहिए और उद्यम को संचालित करने के लिए एक संयुक्त उद्यम भागीदार के रूप में एक प्रसिद्ध लिथियम खनन और प्रसंस्करण फर्म की तलाश करनी चाहिए। दिसंबर की नीलामी में आमंत्रित किए जा सकने वाले 'निजी कंपनियों' की पृष्ठभूमि के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया गया है। क्या उनमें विदेशी 'निजी कंपनियां' शामिल हैं?

जम्मू-कश्मीर एक अशांत राज्य है और सीमा पार आतंकवादी हमलों का एक पसंदीदा लक्ष्य है। सरकार निजी उद्यमियों को लिथियम और अन्य अलौह धातुओं का खनन करने के लिए किस तरह की सुरक्षा प्रदान करेगी? कई देशों ने लिथियम खनन का कार्य राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को इस आधार पर सौंपा है कि यह एक रणनीतिगत खनिज है। चूंकि भारत के पास लिथियम खनन में कोई विशेषज्ञता नहीं है, इसलिए दुनिया के कुछ शीर्ष लिथियम खनिकों और प्रोसेसर को राज्य क्षेत्र के भागीदारों के रूप में शामिल करना सही हो सकता है।

अब तक, भारत के संभावित लिथियम भंडार उत्साहजनक प्रतीत होते हैं। दुनिया भर में लिथियम के कुल भंडार का अनुमान केवल 26 मिलियन टन है। नए भंडार की खोज के लिए सर्वेक्षण जारी है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, बोलीविया में दुनिया में सबसे अधिक पहचाने जाने वाले लिथियम संसाधन हैं। पर्याप्त भंडार वाले अन्य देशों में अर्जेंटीना, अमेरिका, चिली, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत और जर्मनी शामिल हैं। लिथियम वर्तमान में हार्डरॉक या नमकीन खानों से उत्पादित होता है।

हार्डरॉक खानों से उत्पादन के साथ ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। अर्जेंटीना, चिली और चीन मुख्य रूप से इसका उत्पादन नमक की झीलों से करते हैं। मार्च में ऑस्ट्रेलियाई उद्योग, विज्ञान और संसाधन विभाग की संसाधन और ऊर्जा तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक उत्पादन 2022 में 737,000 टन लिथियम कार्बोनेट समतुल्य (एलसीई) था और 2023 में 964,000 टन और 2024 में 1,167,000 टन तक पहुंचने का अनुमान है।

इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण उद्योग के विकास को आकार देने में इस खनिज के महत्व को देखते हुए, चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने कहा कि वह देश के लिथियम उद्योग का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं और धातु का उत्पादन करने के लिए राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी बनाना चाहते हैं। चिली के राष्ट्रपति ने कहा कि भविष्य के लिथियम अनुबंध केवल राज्य नियंत्रण के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में जारी किये जाएंगे। चिली दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक है।

वैश्विक लिथियम उत्पादन में लगे प्रमुख कॉर्पोरेट उद्यमों में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की टैलिसन लिथियम शामिल है, जो एक संयुक्त उद्यम फर्म है, जिसकी रासायनिक-ग्रेड और तकनीकी-ग्रेड लिथियम सांद्रता की उत्पादन क्षमता 1.34 मिलियन टन प्रति वर्ष है। पिलबारामिनरल्स, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में भी, प्रति वर्ष 360,000 से 380,000 टन स्पोड्यूमिनकंसेन्ट्रेट का उत्पादन करता है, जिसमें दो विस्तार चल रहे हैं जिससे उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष एक मिलियन टन तक बढ़ जायेगी।

अन्य कम्पनियों में शामिल है: उन्नत धातुकर्म समूह के स्वामित्व वाली ब्राजील की मिनसगेरैस, जो एक वर्ष में 90,000 टन स्पोड्यूमिन का उत्पादन करती है, जिसकी 2023 की दूसरी तिमाही के अंत तक 130,000 टन तक विस्तार करने की योजना है। सोसाइडेडच्ीमिका इ मिनेराडी चिली के स्वामित्व वाले सलारडीअटाकामा 180,000 टन लिथियम कार्बोनेट प्रति वर्ष उत्पादित करती है। कंपनी 2024 तक अपनी क्षमता को 210,000 तक बढ़ाने की योजना बना रही है। गैनफेंग लिथियम द्वारा खरीदा गया अर्जेंटीना का पॉज़ुएलोस-पास्टोसग्रांडेस 2024 से 30,000 टन लिथियम कार्बोनेट का उत्पादन करेगा, और इसे संभावित रूप से 50,000 टन तक बढ़ाया जा सकता है।

लिथियम खनन और केंद्रित उत्पादन में भारत के ज्ञान और विशेषज्ञता की कमी को ध्यान में रखते हुए, इस क्षेत्र में एक प्रसिद्ध वैश्विक उद्यमी को तुरंत खोजना चाहिए ताकि उसके साथ संयुक्त उपक्रम खोला जा सके जो निर्यात की तुलना में घरेलू खपत पर केन्द्रित रहे। प्रारंभ में, देश को एक ही उद्यम शुरू करना चाहिए। वर्तमान में निजी केपनियों को आमंत्रित करते हुए लिथियम खनन नीलामी आयोजित करने का सरकार का निर्णय बहुत व्यावहारिक नहीं लगता है।

सरकार राजनीतिक रूप से परेशान जम्मू और कश्मीर में लिथियम खनन में जोखिम कारक को नजरअंदाज नहीं कर सकती है। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार, केन्द्र द्वारा जम्मू और कश्मीर के राज्य का दर्जा रद्द करने के बाद से कश्मीर में आर्थिक नुकसान एक अरब डॉलर से अधिक हो गया है, तथा वह सरकार पर इस नुकसान के लिए मुकदमा करने की सोच रही है।

उग्रवादी समूहों ने कथित तौर पर राज्य में खनिज दोहन के खिलाफ चेतावनी दी है। राज्य को अपने अधीन लेने वाली केंद्र सरकार ने प्रशासनिक नियंत्रण को कड़ा करते हुए कहा है कि वह इस क्षेत्र में उग्रवाद पर लगाम लगायेगी और इसके विकास को बढ़ावा देगी। आतंकवाद निजी कंपनियों द्वारा प्रस्तावित लिथियम खनन उपक्रमों के लिए एक बड़ा खतरा है।

एक्सेसनाउ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के कारण कश्मीर में कम से कम 49 बार इंटरनेट का उपयोग बाधित किया, जिसमें जनवरी और फरवरी 2022 में तीन-दिवसीय कर्फ्यू-शैली के शटडाउन के लिए 16 बैक-टू-बैक ऑर्डर शामिल हैं। उग्रवादियों ने भारत सरकार के शासन के खिलाफ अपनी गतिविधियां कायम रखी है। कश्मीर तीन दशक से अधिक समय से आतंकवाद की चपेट में है इसलिए कहीं ऐसा न हो कि यह नीलामी 2024 के चुनाव के पूर्व का राजनीतिक हथकंडा न बन जाये। यदि ऐसा हुआ तो यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण होगा। देश को उचित परियोजना संरचना के साथ यथाशीघ्र अपने लिथियम भंडार का दोहन करने का प्रयास करना चाहिए।

पिछले साल ही, वेदांता-फॉक्सकॉन, जिसके पास माइक्रोचिप उत्पादन का कोई अनुभव नहीं था, ने गुजरात राज्य विधानसभा चुनाव से पहले अहमदाबाद के पास $20 बिलियन सेमी कंडक्टर निर्माण परियोजना की स्थापना की घोषणा की। न तो वेदांता और न ही फॉक्सकॉन के पास सेमीकंडक्टर्स और फैब्रिकेशन बनाने की कोई विशेषज्ञता है। प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए उन्हें एक मजबूत टेक्नोलॉजी पार्टनर की जरूरत होगी। अर्धचालक उद्यम की प्रगति के बारे में बहुत कम जानकारी है क्योंकि वेदांता-फॉक्सकॉन ने गुजरात चुनाव से पहले परियोजना स्थान को महाराष्ट्र से गुजरात में स्थानांतरित कर दिया था।

इस अनुभव के आलोक में ही लिथियम खनन के बारे में सोचा जाना चाहिए। खनन विभाग द्वारा प्रस्तावित लिथियम खनन परियोजनाओं के विवरण का अनावरण अभी किया जाना बाकी है। जम्मू-कश्मीर में 'निजी अभिनेताओं' द्वारा लिथियम खनन सरकार की सोच से कहीं अधिक कठिन हो सकता है।


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