केंद्र और सिक्किम सरकार राज्य के सभी स्थानीय समुदायों को एसटी दर्जा दें
केंद्र और सिक्किम सरकार से सिक्किम के सभी स्थानीय समुदायों को देश के संविधान के प्रावधानों के अनुरूप अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया गया।

गंगटोक। केंद्र और सिक्किम सरकार से सिक्किम के सभी स्थानीय समुदायों को देश के संविधान के प्रावधानों के अनुरूप अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव के संबंध में यह गया कि यह राज्य में चिरस्थाई शांति और समृद्धि सुनिश्चित करेगा।
जनजातीय दर्जा 2018 के लिए दो दिवसीय सिक्किम सम्मेलन के बाद गंगटोक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया , "हम सिक्किम और केंद्र सरकार से सिफारिश करते हैं कि भारतीय संविधान की धारा 371 (एफ) के प्रावधानों के अनुरूप सिक्किम के सभी समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए। इससे चिरस्थाई शांति और समृद्धि सुनिश्चित होगी।"
भारतीय संविधान की धारा 371 (एफ) सिक्किम के विशेष प्रावधानों से संबंधित है।सिक्किम के 20 स्थानीय समुदायों में से 11 सिक्किमी नेपाली समुदायों को अभी एसटी दर्जा मिलना बाकी है।
इस सम्मेलन में देश के अग्रणी विद्वान और नीति निर्माता सिक्किम के 11 समुदायों को एसटी सूची में मान्यता देने की दशकों पुरानी मांग पर अपने विचार साझा करने के लिए इकट्ठा हुए।
इस प्रस्ताव को सिक्किम के एकमात्र लोकसभा सांसद पी.डी.राय ने पढ़ा और प्रशासन को याद दिलाया कि राज्य ने 14 अप्रैल 1975 के ऐतिहासिक जनमत संग्रह में शामिल होने के लिए बढ़चढ़ कर वोट किया।
राय ने कहा, "1975 में भारतीय संघ में सिक्किम के विलय के बाद देश के संविधान के अनुरूप सिक्किमी लोगों के एक वर्ग को राज्य के एसटी और एससी के तौर पर मान्यता दी गई और बाकियों को विशेष रूप से सिक्किम नेपाली समुदाय को यह मान्यता नहीं दी गई।"
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाकी के समुदायों को भी एसटी के तौर पर मान्यता पाने का अधिकार है। यह प्रस्ताव इन समुदायों के साथ हुई गलती को सुधारने और न्याय देने की मांग करता है।


