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सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर भूमि घोटाला मामले में 2 और एफआईआर दर्ज की

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू-कश्मीर में राजस्व विभाग के अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ 25,000 करोड़ रुपये के रोशनी भूमि के घोटाले से जुड़ी दो और प्राथमिकी दर्ज की हैं

सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर भूमि घोटाला मामले में 2 और एफआईआर दर्ज की
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नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू-कश्मीर में राजस्व विभाग के अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ 25,000 करोड़ रुपये के रोशनी भूमि के घोटाले से जुड़ी दो और प्राथमिकी दर्ज की हैं, जिसके बाद अब कुल दर्ज मामलों की संख्या सात हो गई है। जांच एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में यह कार्रवाई की है।

सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में एजेंसी ने एक अज्ञात राजस्व अधिकारी के अलावा सज्जाद परवेज नामक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े घोटालों में शामिल रोशनी भूमि घोटाले की सीबीआई जांच के दौरान कई बड़े नेताओं, अफसरों और व्यापारियों के नाम सामने आए हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने रोशनी अधिनियम का फायदा उठाते हुए अपने या रिश्तेदारों के नाम जमीनें करवा ली हैं।

प्राथमिकी में कहा गया है कि सतर्कता जांच में पाया गया है कि रोशनी अधिनियम के तहत, परवेज यहां का निवासी नहीं है और उसे मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता है।

वह पॉवर ऑफ अटॉर्नी के साथ मूल निवासी अशोक शर्मा और बिपन शर्मा का एक अधिकृत एजेंट था। सतर्कता जांच रिपोर्ट में कहा गया है, "इसके बावजूद, अधिकार प्राप्त समिति ने उनके स्वामित्व की अनुमति दी।"

एफआईआर में कहा गया है, "राजस्व अधिकारियों ने राजकोष को लगभग 97.7 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया।"

सीबीआई ने अज्ञात लोक सेवकों और अन्य लोगों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की, जहां श्रीनगर में स्वामित्व रखने के लिए अवैध कब्जेदारों के मामलों को निपटाने के दौरान उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी।

कई मामलों में जहां रिकवरी रेट सक्षम अधिकारी द्वारा तय किए गए थे, उन्हें सरकारी खजाने में नहीं भेजा गया था।

मार्च 2014 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा में रखा गया था और इसमें उल्लेख किया गया था कि 2007-13 के बीच निजी मालिकों को बेची गई जमीन 25,448 करोड़ रुपये के बजाय सिर्फ 76 करोड़ रुपये कमाने में कामयाब रही, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य था। इस प्रकार रोशनी अधिनियम की आड़ में करोड़ों रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया गया।


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