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रेल ई-टिकट रैकेट मामले में सीबीआई अधिकारी गिरफ्तार

सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि गुप्ता को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले स्थित उसके घर से मंगलवार को गिरफ्तार किया गया और उसे ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया

रेल ई-टिकट रैकेट मामले में सीबीआई अधिकारी गिरफ्तार
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नई दिल्ली। सीबीआई ने जांच एजेंसी के साथ काम कर रहे एक सहायक प्रोग्रामर और एक अन्य व्यक्ति को तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में छेड़छाड़ कर रेलवे टिकट बुक करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने और बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी। दिल्ली में मंगलवार रात केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने कर्मचारी 35 वर्षीय अजय गर्ग को पकड़ा जो अनिल कुमार गुप्ता नाम के शख्स की मदद से इस रैकेट को चला रहा था।

गर्ग को साकेत की एक विशेष अदालत में बुधवार को पेश किया गया, जहां से उसे पांच दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया।

सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि गुप्ता को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले स्थित उसके घर से मंगलवार को गिरफ्तार किया गया और उसे ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया गया।

रात भर चले ऑपरेशन के दौरान सीबीआई ने दिल्ली, मुंबई और जौनपुर में 14 स्थानों पर छापेमारी की। जहां से 89.42 लाख रुपये की नकदी, 61.29 लाख रुपये के सोने के गहने जिसमें एक किलो की दो सोने की छड़ें, 15 लैपटॉप, 15 हार्ड डिस्क, 52 मोबाइल फोन, 24 सिम कार्ड, 10 नोटबुक, छह राउटर, चार डोंगल और 19 पेन ड्राइव के साथ-साथ अभियुक्तों के परिसर और अन्य लोगों के परिसर से कुछ आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है।

सीबीआई अधिकारी ने कहा, "गर्ग पर आरोप है कि उसने आईआरसीटीसी द्वारा चलाए जा रहे तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में छेड़छाड़ के लिए एक अवैध सॉफ्टवेयर विकसित किया था। यह साजिश अनिल कुमार गुप्ता के साथ रची थी। उन्होंने सॉफ्टवेयर को निजी व्यक्तियों को एक भारी भरकम रकम में अनाधिकृत इस्तेमाल के लिए बेच दिया था।"

अधिकारी ने कहा कि ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आईआरसीटीसी के नियमों और शर्तो के अनुसार व रेलवे अधिनियम के तहत अवैध है।

दयाल ने कहा, "गर्ग पर यह भी आरोप लगाया गया है कि वह सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर रहे कुछ बुकिंग एजेंटों से उगाही कर रहा था और उसने इन गतिविधियों से बड़ी मात्रा में धन इकट्ठा किया था। यह मामला सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा की नीति के अंतर्गत आता है, जो कि भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता बनाए रखने की एक मजबूत आंतरिक व्यवस्था पर जोर देती है।"

आधिकारी ने हालांकि स्पष्ट किया कि गिरोह के कारण आईआरसीटीसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन एक तरह से उन लोगों को नुकसान हुआ, जो ऑनलाइन टिकट बुक करते वक्त टिकट हासिल नहीं कर सके।

अधिकारी ने बताया कि 10 एजेंटों की पहचान की गई है, जिनमें से सात जौनपुर और तीन मुंबई से हैं।

सीबीआई ने गर्ग और गुप्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश रचने, कंप्यूटर से जुड़े अपराधों और कंप्यूटर व कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने, रेलवे टिकटों की खरीद और आपूर्ति के अवैध कारोबार के आरोप में मामला दर्ज किया है।

अधिकारी ने बताया कि गर्ग 2012 से सीबीआई में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले, गर्ग ने आईआरसीटीसी के साथ 2007 से 2011 के बीच काम किया था, जहां उसे आईआरसीटीसी सॉफ्टवेयर में खामियां मिली थीं।

हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और सीबीआई में कार्यरत गर्ग ने सॉफ्टवेयर को इसलिए विकसित किया था कि वह इसे एजेंटों को बेचकर अवैध धन अर्जित कर सके ।

अवैध सॉफ्टवेयर के बारे में अधिकारी ने कहा कि सॉफ्टवेयर का उपयोग करके एक बार में कई टिकटों को बुक किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रेलवे टिकट बुक करने के लिए लगभग 800-1000 उपयोगकर्ता आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा था।"

उन्होंने कहा, "गर्ग ने सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए एक पासवर्ड दिया था जो समय-समय पर बदल दिया जाता था। उसने इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से बुक किए गए प्रत्येक टिकट के आधार पर डीलरों से वसूली की। वह प्रॉक्सी एडरेस और कुछ विदेशी सर्वर का उपयोग कर रहा था।"

आधिकारी ने कहा, "हम अभी तक आपराधिक कृत्यों का सटीक समय नहीं जान पाए हैं क्योंकि जांच की प्रक्रिया शुरुआती अवस्था में है। लेकिन ऐसा लगता है कि यह कार्य एक वर्ष से किया जा रहा था और इसमें विभिन्न शहरों के कई लोग शामिल थे।"


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