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सीबीआई जांच से कई अधिकारियों व नेताओं की फंसेगी गर्दन

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मथुरा में 126 करोड़ रूपये जमीन खरीद घोटाले में अब कई नौकरशाहों के साथ राजनेताओं की भी गर्दन फंस सकती है

सीबीआई जांच से कई अधिकारियों व नेताओं की फंसेगी गर्दन
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- देवेंद्र सिंह

ग्रेटर नोएडा। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मथुरा में 126 करोड़ रूपये जमीन खरीद घोटाले में अब कई नौकरशाहों के साथ राजनेताओं की भी गर्दन फंस सकती है। नेताओं व अधिकारियों की सांठगांठ में मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीद घोटाले को अंजाम दिया गया था।

पुलिस के हाथ में अब तक जांच होने से नेताओं के गर्दन तक हाथ नहीं पहुंच पाई थी। बुधवार को सीबीआई ने मथुरा जमीन घोटाले में यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। सीबीआई के मामला दर्ज होने से कई अधिकारियों व नेताओं में हंडकंप मचा रहा। पुलिस अभी तक इस मामले में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता, एसीईओ सतीष कुमार समेत 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। यमुना में सिर्फ मथुरा में ही नहीं बल्कि करीब 22 से ज्यादा अन्य गांवों में मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदी गई थी।

हाथरस जमीन खरीद घोटाला का भी मामला दर्ज हो चुका है। हाथरस में भी वह लोग ष्षामिल है, जिन्होंने मथुरा जमीन घोटाले को अंजाम दिया था।

क्या था मथुरा जमीन घोटाला

बता दें कि मथुरा में मास्टर प्लान से बाहर 126 करोड़ रूपये जमीन खरीद घोटाले में यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार ने जून 2018 में कासना कोतवाली में तत्कालीन प्राधिकरण सीईओ पीसी गुप्ता समेत 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।

घोटाले में एसीईओ सतीश कुमार, तहसीलदार रणवीर सिंह, सुरेश शर्मा, चमन सिंह, ओएसडी वीपी सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। पुलिस ने पीसी गुप्ता को मध्य प्रदेष के पीतांबरा देवी मंदिर से गिरफ्तार कर किया था। बाद में पुलिस ने इस मामले में करीब 40 लोगों के खिलाफ का नाम शामिल किया था। प्रदेश सरकार ने बाद में इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद सीबीआई ने जांच शुरू नहीं किया था। अब तक जाकर सीबीआई ने मामला दर्ज कर इसकी जांच शुरू की है।

हाथरस में 30 करोड़ का जमीन घोटाला

यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र के हाथरस में 15.94 हेक्टेयर जमीन खरीद घोटालों को एक सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दिया गया। प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने पहले बिना किसी प्रयोजन के जमीन खरीदने की फाइल तैयार कर ली। इसके बाद अधिकारियों ने अपने सगे संबंधियों की कंपनियों के नाम औने पौने दामों में किसानों से जमीन खरीदी और प्राधिकरण ने उस जमीन को सीधे क्रय कर लिया।

जमीन का दाखिला खारिज भी मुआवजा उठाने के बाद किया गया। मथुरा के 126 करोड़ जमीन खरीद घोटाले के खेल में शामिल 15 कंपनियां भी हाथरस जमीन खरीद में शामिल है। इससे साफ जाहिर होता है कि यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने सुनियोजित साजिश के तहत हाथरस में जमीन खरीद घोटाले को अंजाम दिया। इस मामले में भी कासना कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया था। सीबीआई अब इसकी भी जांच कर सकती है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 2013 में हाथरस के मुढावली गांव में मास्टर प्लान से बाहर 15.94 हेक्टेयर जमीन खरीदा था। उस समय में प्राधिकरण अधिकारियों की तरफ से जमीन खरीदने का आधार यह दिया गजमीन खरीद घोटाले को अंजाम दिया।

तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता ने फाइल में बकायदा आदेश दिया कि जमीन का मुआवजा 30-30 लाख रूपये का चेक बनाकर दिया जाए। तीस लाख रूपये से ज्यादा जमीन का मुआवजा उठाने पर उसकी जानकारी आयकर विभाग को उपलब्ध करानी होता है। तत्कालीन अधिकारियों ने आयकर विभाग के आंख धूल झोंक कर जमीन खरीद घोटाले को अंजाम दिया। हाथरस जमीन खरीद से यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण को करीब 30 करोड़ रूपये की आर्थिक क्षति हुई है।


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