Top
Begin typing your search above and press return to search.

सीबीआई निदेशक की याचिका पर सुनवाई हुई पूरी

आलोक वर्मा को सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ हुए विवाद के बाद सरकार ने 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया था

सीबीआई निदेशक की याचिका पर सुनवाई हुई पूरी
X

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदशेक आलोक वर्मा से अधिकार वापस लेने और उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाली खंडपीठ ने आज वर्मा और स्वयंसेवी संगठन ‘कॉमन कॉज’ की वर्मा से अधिकार वापस लेने और छुट्टी पर भेजे जाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया।दोनों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे।

मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायाधीश के एम जोसेफ की खंड पीठ ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के फैसले पर कड़ा रुख दिखाया।

खंडपीठ ने सवाल किया कि सीबीआई के दो उच्च पदस्थ अधिकारियों के बीच लड़ाई रातोंरात सामने नहीं आयी थी। न्यायालय ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं था कि सरकार को चयन समिति से बातचीत किए बिना सीबीआई निदेशक की शक्तियों को तुरंत खत्म करने का निर्णय लेना पड़ा।

गोगोई ने कहा कि सरकार ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि ऐसी स्थितियां जुलाई से ही उत्पन्न हो रही थी। खंडपीठ ने कहा कि यदि केंद्र सरकार निदेशक के अधिकारों पर रोक लगाने से पहले चयन समिति से इसकी मंजूरी ले लेती तो कानून का बेहतन पालन होता।

खंडपीठ ने कहा कि सरकार की कार्रवाई की भावना संस्थान के हित में होनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया कि “जब वर्मा कुछ माह में सेवानिवृत्त होने वाले थे तो कुछ और माह का इंतजार तथा चयन समिति से परामर्श क्याें नहीं किया गया ।’’

बुधवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि सरकार को सीबीआई निदेशक और श्री अस्थाना के बीच चल रहे विवाद में इसलिए हस्तक्षेप करना पड़ा क्योंकि दोनों बिल्लियों की तरह झगड़ रहे थे। सरकार को प्रमुख जांच एजेंसी की विश्वसनीयता और अखंडता को बनाये रखने के लिए दखल देना पड़ा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it