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CBI को नहीं मिले राडिया टेप में अपराध के सबूत, 12 साल पहले खूब मचा था विवाद

बहुचर्चित राडिया टेप मामले में कोई अपराध नहीं पाया गया है। सीबीआई ने खुद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को यह बताया है।

CBI को नहीं मिले राडिया टेप में अपराध के सबूत, 12 साल पहले खूब मचा था विवाद
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नई दिल्ली: बहुचर्चित राडिया टेप मामले में कोई अपराध नहीं पाया गया है। सीबीआई ने खुद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को यह बताया है। टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने पूर्व कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया से जुड़ी लीक निजी बातचीत के खिलाफ अपने निजता के अधिकार की सुरक्षा के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था। सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ से कहा कि, उसने 5,800 बातचीत के टेप की जांच की, जिसमें कोई आपराधिक मामला नहीं बनता।

राडिया को केंद्रीय जांच एजेंसी ने क्लीन चिट दे दी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है।

एक दशक से भी पहले, राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत को जांच के हिस्से के रूप में लिया गया था।

टाटा ने 2011 में याचिका दायर की थी कि टेप जारी करना उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

मामले की आखिरी सुनवाई अप्रैल 2014 में हुई थी, और शीर्ष अदालत ने कई मुद्दों को स्पष्ट किया जिसमें सरकार बनाम निजता का अधिकार, मीडिया बनाम निजता का अधिकार और सूचना का अधिकार के मुद्दे शामिल थे।

टाटा ने इस बात की जांच की मांग की थी कि बातचीत के अंश किसने लीक किए थे और एक नागरिक की निजता पर इस तरह के अंधाधुंध आक्रमण से बचाव के लिए क्या तंत्र स्थापित है।

अगस्त 2017 में, शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि निजता एक संवैधानिक अधिकार है। नौ न्यायाधीश अपने निष्कर्ष में एकमत थे, हालांकि उन्होंने अपने निष्कर्ष के लिए विभिन्न कारणों का हवाला दिया।


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