सीबीआई अदालत ने दस लागों को सुनाई सजा
सीबीआई अदालत के विशेष भ्रष्टाचार निवारण जज राजेश चौधरी ने 24 वर्ष पूर्व लोन पास कराने में 105 लाख के घोटाले में तत्कालीन बैंक प्रबंधक व पीसीएस अधिकारी सहित दस लोगों को सजा सुनाई है
मेरठ। सीबीआई अदालत के विशेष भ्रष्टाचार निवारण जज राजेश चौधरी ने 24 वर्ष पूर्व लोन पास कराने में 105 लाख के घोटाले में तत्कालीन बैंक प्रबंधक व पीसीएस अधिकारी सहित दस लोगों को सजा सुनाई है। लगभग 250 पेज के फैसले में अदालत ने अभियुक्तों पर 4.37 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
घोटाले के तीन आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी जुवेनाइल है। अदालत ने पांच अगस्त को अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। प्रबंधक वीसी जैन को दस वर्ष की सजा व 2.25 लाख जुर्माना, जबकि पीसीएस अधिकारी रविंद्र सिंह को दस वर्ष की सजा व 1.90 लाख रुपए जुर्माना लगाया था। इसके अलावा अन्य आठ आरोपियों को 4 - 4 वर्ष की सजा व दो-दो हजार जुर्माना लगाया है।
सीबीआई के लोक अभियोजक एससी मीना ने अदालत को बताया कि स्टेट बैंक आफ बीकानेर एवं जयपुर शाखा नवयुग मार्केट के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीसी जैन निवासी अलवर राजस्थान एवं उप्र अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास कार्पोरेशन गाजियाबाद के सहायक प्रबंधक पीसीएस अधिकारी रविंद्र सिंह निवासी सहारनपुर की मिलीभगत से गाजियाबाद के रामागढ़ी निवासी लाजपत राय, सराय नजर अली निवासी लोकेश कुमार, सुंदरपुरी निवासी महेश कुमार व गोपाल, पुराना विजय नगर निवासी सुनील कुमार व राजू, तेलीवाली गली निवासी सुभाष, उदल नगर निवासी वीरपाल, घूकना निवासी प्रीतम व श्रीचंद, सेवानगर निवासी कमल किशोर, सुदामापुरी निवासी गोपाल व एक आरोपी जुवेनाइल ने मिलकर फर्जी तरीके दस्तावेज तैयार करवाकर 693 लोगों के लोन स्वीकृत कराए। इनमें 18 लोग सामान्य वर्ग के थे।
पूरी योजना अनुसूचित जाति के लोगों के लिए थी। इन आरोपियो में श्रीचंद, सुनील कुमार एवं वीरपाल की मुकदमें की सुनवाई के दौरान मौत होने से फाइल बंद हो चुकी है। अभियुक्त लाजपत राय को चार वर्ष व चार हजार जुर्माना, जबकि लोकेश, महेश कुमार, राजू, गोपाल, सुभाषचंद, प्रीतम व कमल किशोर को 4-4 वर्ष की सजा व दो-दो हजार रुपये जुर्माना लगाया है।


