सीबीआई ने ईडी के अधिकारी को 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते किया गिरफ्तार
सीबीआई ने ईडी के अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। ईडी में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात चिंतन रघुवंशी को 20 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा है। ये अधिकारी एक मामले में उड़ीसा में छापेमारी करने गई ईडी की टीम में शामिल था
ओडिशा: ओडिशा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने जांच एजेंसी ईडी की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही विपक्ष के उस दावे को भी पुख्ता कर दिया है जिसमें वो ईडी पर लगातार सवाल उठाता रहा है। सीबीआई ने ईडी के भुवनेश्वर जोनल ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर चिंतन रघुवंशी को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। ये मामला तब सामने आया, जब एक लोकल माइनिंग कारोबारी रतिकांत राउत उर्फ जुलू ने सीबीआई को इंफॉर्मेशन दी कि रघुवंशी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस को "सेटल" करने के लिए उनसे 5 करोड़ की रिश्वत मांगी थी। बाद में सौदा 2 करोड़ में फाइनल हुआ, और पहली किस्त के 20 लाख रुपये लेते वक्त 29 मई 2025 को रघुवंशी सीबीआई के हत्थे चढ़ गए। ये घटना न ईडी-सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों की कार्यप्रणाली और उनके भरोसे पर बड़ा सवालिया निशान खड़े कर रही है।
चिंतन रघुवंशी, 2013 बैच के IRS ऑफिसर, भुवनेश्वर में ईडी के डिप्टी डायरेक्टर थे। जनवरी 2025 में ईडी ने रतिकांत राउत की कंपनी के खिलाफ कथित गैरकानूनी वित्तीय लेनदेन के शक में भुवनेश्वर और ढेंकनाल में 14 ठिकानों पर छापेमारी की थी। राउत, जो छोटे खनिजों (माइनर मिनरल्स) के धंधे में हैं, उन्होंने छापेमारी के बाद रघुवंशी से अपने केस को "निपटाने" की गुहार लगाई। आरोप है कि रघुवंशी ने मौके का फायदा उठाया और राउत से 5 करोड़ की रिश्वत मांगी। लंबी जद्दोजहद के बाद मामला 2 करोड़ रुपए में सेटल हुआ, जिसमें पहली किस्त 20 लाख की थी। राउत ने ये बात सीबीआई को बताई, और सीबीआई ने जाल बिछाया। भुवनेश्वर के सहिद नगर में रघुवंशी को 20 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया। सीबीआई ने रिश्वत के नोटों को कलर-कोडेड करके जब्त किया, जो इस केस में ठोस सबूत बनेगा। रघुवंशी को नयापल्ली के सीबीआई ऑफिस ले जाया गया, जहां उनसे और राउत से पूछताछ चल रही है।
ये मामला सिर्फ रिश्वतखोरी का नहीं, बल्कि जांच एजेंसियों की साख और पारदर्शिता का भी है। ईडी, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक अपराधों की जांच के लिए जानी जाती है, अक्सर विपक्षी नेताओं और कारोबारियों पर कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में रहती है। विपक्ष लंबे समय से ईडी पर केंद्र सरकार के इशारे पर "टारगेटिंग" का आरोप लगाता रहा है। अब जब ईडी का ही एक बड़ा अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा गया, तो विपक्ष के तमाम दावे पुख्ता होते हुए दिख रहे हैं..
भले ही ये कार्रवाई सीबीआई ने की हो लेकिन सीबीआई की अपनी साख भी सवालों के घेरे में रही है। उस पर भी कई बार पक्षपात और सरकार के इशारों पर काम करने के आरोप लगे हैं। ऐसे में, इस केस की जांच कितनी निष्पक्ष होगी, ये देखना होगा। अगर सीबीआई इस मामले को पूरी पारदर्शिता से हैंडल करती है, तो ये उसकी साख बढ़ाने का मौका हो सकता है। ये मामला देश में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। जब केंद्र में मोदी सरकार आई थी तब भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना एक बड़ा मुद्दा था..नोटबंदी भी भ्रष्टाचार खत्म करने के मकसद से की गई थी..लेकिन स्थिति आज भी पहले जैसी है.. ईडी जैसी एजेंसी, जो दूसरों के आर्थिक गड़बड़ियों की जांच करती है, उसका अपना अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा जाए, तो सिस्टम पर भरोसा डगमगाना लाजिमी है। ये घटना जांच एजेंसियों में सुधार की ज़रूरत को भी अंडरलाइन करती है। आने वाले दिन दिखाएंगे कि इस केस का राजनीतिक और प्रशासनिक असर क्या होगा।


