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सीबीडीटी रिपोर्ट ने सियासी दलों के बांधे हाथ

मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान आयकर विभाग ने छापे मारे थे

सीबीडीटी रिपोर्ट ने सियासी दलों के बांधे हाथ
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भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान पड़े आयकर के छापों में हुए खुलासे के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट और उसके आधार पर चुनाव आयेाग द्वारा राज्य सरकार को दिए गए निर्देशों से दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस के हाथ बंध गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस रिपोर्ट में दोनों ही दलों से जुड़े नेताओं के नाम जो हैं।

मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान आयकर विभाग ने छापे मारे थे। इन छापों में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबियों के यहां से कई महत्वपूर्ण दस्तोवज मिले थे। उन छापों में कई करोड़ के लेनदेन का खुलासा हुआ था और दस्तावेजों ने इस बात का खुलासा किया था कि हवाला के जरिए एक राजनीतिक दल के मुख्यालय को भी राशि भेजी गई है। उसके बाद इस मामले में सीबीडीटी ने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसके आधार पर चुनाव आयोग ने राज्य के चार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों की मानें तो सीबीडीटी की जो रिपोर्ट आई है, उसमें राज्य की कमलनाथ सरकार के तत्कालीन कई मंत्रियों के साथ आधा सैकड़ा से अधिक विधायकों के नाम सामने आ रहे हैं, इनमें से शिवराज सरकार के दो मंत्री और 11 विधायकों के नाम भी शामिल हैं। इनमें कई वह विधायक और मंत्री हैं जिन्होंने राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था।

सीबीडीटी की रिपोर्ट में जहां एक और कांग्रेस विधायकों के नाम हैं, तो वहीं दूसरी ओर शिवराज सरकार के मंत्रियों और विधायकों के नाम भी आए हैं, जिसके चलते दोनों ही राजनीतिक दलों के हाथ बंध गए हैं। सीबीडीटी की रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी नाम होने की बात कही जा रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ किया है कि कानून अपना काम करेगा चाहे वह कितना ही प्रभावशाली क्यों ना हो।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि यह कैसी जांच है कि अभी तक मुझे एक भी नोटिस देकर बयान नहीं लिया गया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के के मिश्रा का कहना है कि, "कमलनाथ को बदनाम करने की साजिश लोकसभा चुनाव के पहले ही रची गई थी, आयकर के छापों में कुछ भी नहीं मिला, सीबीडीटी की कपोलकल्पित रिपोर्ट में शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों, समर्थन दे रहे कई विधायकों के भी नाम आये हैं, क्या उन पर भी प्राथमिकी दर्ज होगी? वे भाजपा में आने के बाद पवित्र हो गए हैं?"

राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि सीबीडीटी की जो रिपोर्ट सरकार के पास आई है, उसमें कांग्रेस के साथ भाजपा के लेागों के भी नाम भी हैं और इसी के चलते शिवराज सरकार बैकफुट पर है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे बढ़ती है तो उसके लोगों पर भी आंच आ सकती है, लिहाजा असमंजस बना हुआ है। इसके साथ ही सरकार के हाथ एक ऐसा हथियार लग गया है, जिसके जरिए वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सिंधिया पर दबाव बना सकती है।


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