सट्टेबाजों की गिरफ्त में कैस्टरसीड, 12 दिनों में 22 फीसदी टूटा दाम
देश में कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर बीते 12 दिनों में कैस्टरसीड के वायदा भाव में 22 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।

नई दिल्ली । देश में कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर बीते 12 दिनों में कैस्टरसीड के वायदा भाव में 22 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। बताया जा रहा है कि कैस्टरसीड का कारोबार सट्टेबाजों की गिरफ्त में है, जिसके कारण बिकवाली का भारी दबाव देखा जा रहा है। एनसीडीएक्स पर कैस्टरसीड का अक्टूबर डिलीवरी वायदा अनुबंध मंगलवार को 294 रुपये यानी 5.96 फीसदी की गिरावट के साथ 4,638 रुपये प्रति कुंटल पर बंद हुआ। वहीं, नवंबर डिलीवरी अनुबंध 300 रुपये यानी छह फीसदी की गिरावट के साथ 4,700 रुपये प्रति कुंटल पर बंद हुआ।
इसी महीने 19 सितंबर को कैस्टरसीड का अक्टूबर डिलीवरी अनुबंध 5,966 रुपये प्रति कुंटल पर बंद हुआ था। इस प्रकार अक्टूबर अनुबंध में बीते 12 दिनों में 1,328 रुपये यानी 22.25 फीसदी की गिरावट आई है।
बीते छह सत्रों से लगातार गिरावट का दौर जारी है, जिससे हाजिर में भी जहां कैस्टरसीड के दाम में 1,000 रुपये प्रति कुंटल से ज्यादा की गिरावट आई है।
कमोडिटी बाजार विश्लेषक और एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (करेंसी व एनर्जी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि कैस्टरसीड वायदे में भारी गिरावट के पीछे कार्टिलाइजेशन भी एक कारण है।
उन्होंने कहा, "इस साल कैस्टरसीड का रकबा पिछले साल से अधिक है और मानसून सीजन के आखिरी दौर में देश के सबसे बड़े कैस्टरसीड उत्पादक राज्य गुजरात में अच्छी बारिश होने से बंफर फसल होने की संभावना जताई जा रही है। यह भी एक कारण है कि बिकवाली का दबाव बढ़ा है।"
एक अन्य कमोडिटी विश्लेषक ने बताया कि कैस्टरसीड का वायदा कारोबार सट्टेबाजों की गिरफ्त में है, जिसके कारण वायदा भाव में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि दरअसल, चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव के कारण चीन से कैस्टरसीड के उत्पादों की मांग कम होने लगी है और इस साल फसल भी अच्छी होने की उम्मीद है। लिहाजा, सट्टेबाजी हावी है।
उधर, एनसीडीएक्स समूह की कंपनी नेशनल कमोडिटी क्लियरिंग लिमिटेड (एनसीसीएल) ने 30 सितंबर को जारी एक सर्कुलर में कहा कि अक्टूबर में एक्सपायरी अनुबंध के लिए स्टैगर्ड डिलीवरी अवधि अब तीन अक्टूबर की जगह 11 अक्टूबर को शुरू होगी। सर्कुलर में एनसीसीएल ने प्री-एक्सपायरी मार्जिन में बदलाव करते हुए इसे तीन फीसदी से दो फीसदी हर कारोबारी दिवस कर दिया जोकि एक्सपायरी तक बीते 11 कारोबारी दिवस के दौरान बढ़ता रहेगा।
अनुज गुप्ता ने कहा कि इस वजह से घबराहट में भी बिकवाली बढ़ी। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ समूहों की सांठगांठ से कैस्टरसीड के कारोबार को प्रभावित किया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में कैस्टरसीड का रकबा इस साल 9.36 लाख हेक्टेयर है जोकि पिछले साल के रकबे 8.77 लाख हेक्टेयर से सात फीसदी अधिक है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में कैस्टर आयॅलमील का निर्यात 20,922 टन रहा जबकि इससे पहले जुलाई में 33,437 टन था। इस प्रकार अगस्त में कैस्टर ऑयलमील के निर्यात में 37.42 फीसदी की गिरावट आई।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि इस साल कैस्टरसीड की बुवाई अंतिम चरण में है और कीमतों में गिरावट आने से जिन किसानों ने इसकी खेती में दिलचस्पी दिखाई है उनको आने वाले दिनों में इसके अच्छे भाव को लेकर चिंता बनी रहेगी।
मालूम हो कि कैस्टरसीड एक ऐसी तिलहन फसल है जिसका उपयोग उद्योग में होता है और भारत कैस्टरसीड का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि कैस्टर ऑयल का सबसे बड़ा आयातक चीन है।


