जातिप्रथा आज भी बरकरार: खुदशाह
जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीेसगढ़ के राज्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति की बैठक शंकरनगर, रायपुर में आयोजित हुई.....

रायपुर। जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीेसगढ़ के राज्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति की बैठक शंकरनगर, रायपुर में आयोजित हुई। इस अवसर पर जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीेसगढ़ के संयोजक व अखिल भारतीय कार्यकारी संयोजक संजीव खुदशाह, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के अखिल भारतीय संयोजक व विकल्प अवाम का घोषणापत्र पत्रिका के संपादक तुहिन, जाति उन्मूलन आंदोलन के सदस्यगण दुर्गा झा, संस्कृतिकर्मी रतन गोंडाने, रवि बौद्ध, राजू भारतवासी, तेजराम विद्रोही, मृदुलसेन गुप्ता, संतोषी राठौर व रविन्द्र ने अपने विचार रखे। बैठक की अध्यक्षता क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच छत्तीसगढ़ की राज्य संयोजक चंद्रिका ने की।
कार्यक्रम में जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीेसगढ़ के संयोजक संजीव खुदशाह ने कहा कि हजारों साल से चली आ रही अमानवीय जाति प्रथा बदलते समय के साथ तालमेल बैठाकर नये निर्मम रूप में आज भी बरकरार है। लेकिन धन और धरती के मालिक तथा बलशाली शासक वर्ग, जाति को कोई समस्या नहीं मानता है। या यूं कहें जान बूझकर समस्या मानने से इनकार करता है क्योंकि इसके पीछे उसके निजी हित छिपे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब संपन्न-दबंगों द्वारा दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और उत्पीड़ित तबके पर जुल्म की खबरें नहीं आती हों। मगर चौबीसों घण्टे विभिन्न बेसिर-पैर की बहस में लगे रहने वाला पूंजीवादी मीडिया भी जाति प्रथा को स्पर्श तक नहीं करता है।
वर्तमान समय में जाति उन्मूलन आंदोलन की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उत्तरप्रदेश सहित पूरे देश में हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों द्वारा शासन-प्रशासन के सहयोग से सुनियोजित तरीके से हमले हो रहे हैं। वहां लोगों की हिम्मत नहीं हो रही है कि इन सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों का विरोध कर पाए। इलेक्ट्रानिक मिडिया व प्रेस के सामने सही बात बोलने से रोका जा रहा है। आम जनता के बीच में जो विश्वास टूट गया है उसको जगाने की हमारी जिम्मेदारी है। हमें सभी प्रगतिशील व समान विचारधारा वाले लोगो को साथ लेकर आगे बढ़ना है तभी हम जाति विहिन समाज की परिकल्पना को साकार कर पाने में सक्षम होंगे।


