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जाति जनगणना मुद्दे पर नीतीश ने किया पीएम मोदी से मिलने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के 10 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जाति आधारित जनगणना की मांग पर जोर देने के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की

जाति जनगणना मुद्दे पर नीतीश ने किया पीएम मोदी से मिलने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व
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नई दिल्ली, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के 10 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जाति आधारित जनगणना की मांग पर जोर देने के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, बिहार सरकार में मंत्री जनक राम, मुकेश सहानी और विजय कुमार चौधरी, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, भाकपा के सूर्यकांत पासवान, महबूब आलम (भाकपा-एमएल), अख्तरुल इमाम (एआईएमआईएम) और अजय कुमार (सीपीआई-एम) नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।

पता चला है कि बैठक के दौरान कुमार और यादव दोनों ने जाति आधारित जनगणना पर जोर दिया।बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर नेता की बातें सुनीं।कुमार ने कहा, "मैंने सबसे पहले प्रधानमंत्री के सामने अपनी बाते रखीं। मैंने कहा कि जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की ओर से आया है और हम सभी इस पर सहमत हुए हैं। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के हर सदस्य की बातें सुनीं। हम प्रधानमंत्री से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं।"

इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के रुख के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, "उन्होंने (मोदी ने) इससे (जाति जनगणना) इनकार नहीं किया है और सभी को धैर्यपूर्वक सुना। जाति आधारित जनगणना विभिन्न विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से तैयार करने में मदद करेगी।"

तेजस्वी यादव दूसरे नेता थे, जिन्होंने बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष अपनी बातें रखीं। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री जाति आधारित जनगणना कराने की अनुमति देंगे।"यादव ने कहा, "जाति आधारित जनगणना न केवल बिहार में होनी चाहिए, बल्कि पूरे देश में होनी चाहिए। इससे संसाधनों के उचित डायवर्जन में मदद मिलेगी। यह अपरिहार्य है। यह गरीबों की मदद करने का एक ऐतिहासिक उपाय होगा। यदि जानवरों और पेड़ों की गिनती की जा सकती है, तो जाति के आधार पर लोगों की गिनती क्यों नहीं होनी चाहिए। जब सरकार के पास जनसंख्या का कोई वैज्ञानिक डेटा नहीं है, तो वह कल्याणकारी नीतियां कैसे बना सकती है।"

जब पत्रकारों ने तेजस्वी से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री उनके आह्वान को ठुकरा देंगे, तो सीएम नीतीश कुमार ने हस्तक्षेप किया और कहा, "अभी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। हमें प्रधानमंत्री के फैसले का इंतजार करना चाहिए।"जाति आधारित जनगणना का मुद्दा खासतौर पर बिहार में चर्चा में रहा है और इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों की लंबे समय से मांग भी रही है। बिहार विधायिका ने 2019 और 2020 में दो बार सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना के लिए प्रस्ताव पारित किए थे। दोनों अवसरों पर, सभी भाजपा विधायकों ने भी जाति आधारित जनगणना के समर्थन में मतदान किया था।

1931 के बाद देश में एससी और एसटी के अलावा अन्य जाति आधारित जनगणना नहीं की गई है।


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