दो बिल्डरों के खिलाफ दर्ज होगा मामला : प्रभात
ऑडिट के दौरान निवेशकों का पैसा अन्यत्र लगाने पर यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने दो बिल्डर ग्रीन-वे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि व एसडीएस इंफ्राकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि के खिलाफ मामला दर्ज

ग्रेटर नोएडा। ऑडिट के दौरान निवेशकों का पैसा अन्यत्र लगाने पर यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने दो बिल्डर ग्रीन-वे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि व एसडीएस इंफ्राकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रालि के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्णय लिया है।
बिल्डरों ने जितनी जमीन पर विकास कार्य नहीं किया है और तीसरा पक्ष नहीं शामिल है उस जमीन का आबंटन निरस्त करेगा। उस जमीन को बेच कर प्राधिकरण पीएसपी पॉलिसी के तहत को-डेवलेपर से अूधरे विकास कार्य को पूरा कराएगा।
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की सोमवार हुई 63वीं बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार व सीईओ डा. अरूणवीर सिंह ने बताया कि प्राधिकरण ने बिल्डरों के प्रोजेक्ट का ऑडिट कराया था।
ऑडिट के दौरान पाया गया कि आठ बिल्डरों ने निवेशकों के करीब 840 करोड़ अन्यत्र निवेशित कर दिया। इस पर बिल्डरों को नोटिस जारी कर प्राधिकरण की डिफाल्टर राशि व अन्यत्र निवेशित पैसा एस्क्रो अकाउंट खुलावा कर उसे जमा कराए। छह बिल्डरों ने प्राधिकरण में आवेदन कर अन्यत्र निवेशित पैसा करने के लिए कहा। उनके तरफ से प्राधिकरण में दस्तावेज जमा किया गया कि अन्यत्र पैसा निवेशित नहीं किया है।
ग्रीन वे व एसडीएस बिल्डर की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। एसडीएस बिल्डर ने करीब 180 करोड़ रुपये व ग्रीन-वे बिल्डर ने 173 करोड़ रुपये अन्य निवेशित किया है।
एसडीएस पर 227.99 करोड़ और ग्रीन-वे पर 380 करोड़ रुपये प्राधिकरण का डिफाल्टर है। एसडीएस को पहले भी नोटिस जारी कर निवेशक को छह माह के अंदर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। इसके बाद भी उसने मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराया। एसडीएस बिल्डर के यहां 1454 भूखंड व 770 फ्लैट निवेशकों ने बुक कराया है।
ग्रीन-वे बिल्डर के यहां 684 भूखंड व 620 फ्लैटों में लोगों ने निवेष किया है। प्राधिकरण अध्यक्ष ने बताया कि दोनों बिल्डरों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया जाएगा। बिल्डर ने जितनी जमीन पर विकास कार्य नहीं किया गया है उतनी जमीन का लीजडीड निरस्त कर दिया जाएगा। उसे जमीन को बेच कर पीएसपी पॉलिसी के तहत को-डेवलेपर से विकास कार्य कराकर निवेशकों को कब्जा दिया जाएगा।


