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ताजा दुष्कर्मी बाबाओं से बचो भाई

देश जिस तरह बाबाओं की चपेट में है उससे अब भय सताने लगा है दुनिया में कहीं अपना देश बलात्कारी बाबाओं के नाम पर मिसाल न बन जाए

ताजा दुष्कर्मी बाबाओं से बचो भाई
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देश जिस तरह बाबाओं की चपेट में है उससे अब भय सताने लगा है दुनिया में कहीं अपना देश बलात्कारी बाबाओं के नाम पर मिसाल न बन जाए। धर्म के नाम पर जितने पाखंड और कुकर्म हमारे तथाकथित साधु संत कर रहें हैं वह अब निंदा करने लायक भी नहीं रह गए हैं। बड़ी तकलीफ तो यह है कि इतने सारे दुष्कर्म के प्रकरण सामने रहने के बाद भी पतानहीं कैसे पढ़े लिखे अच्छे ऊंचे ओहदे में विराजित लोग बनावटी संतों के फेरे में फंस जाते हैं। जिनके पास बड़ी समस्याएं हैं, गरीब हैं और उनके पास जीवन का कोई रास्ता नहीं है।

ऐसे लोग अगर अधर्मी लोगों की शरण में चलें जाएं तो यह मानिए कियह उनका अंतिम विकल्प रहा होगा। किंतु साधन संपन्न, घरबार परिवार से सुखी संपन्न लोग अगर बाबाओं के पास पहुंचकर ताबीज के फेरे में उलझ जाएं तो यह बेहद दुखदायी और समाज को अंध कृत्य की तरफ ले चलने एक बड़ा रोग है। ऐसा ही एक हाल बिलासपुर की एक पढ़ी लिखी युवती के साथ हुआ है जो बड़ी गुणी चतुर विद्वान होते हुए भी अलवर राजस्थान के बाबा स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज की भक्त हो गई और अपनी नौकरी के पहले वेतन की राशि प्रसाद बतौर चढ़ाने उसके आश्रम जा पहुंची फिर तथाकथित बाबा ने उस युवती को जो प्रसाद दिया वह सबसे घिनौनी हरकत के रूप में सामने आया।

बाबा दुराचारी निकला साधु का ढोंग रचकर अपना अनुयायी बनाकर अपनी शिष्या से ही बलात्कार किया। इस दुराचारी बाबा का भक्त केवल वह युवती ही नहीं बल्कि उसका पूरा परिवार ही था। और बड़ी श्रद्धा से वे सब लोग उसके आश्रम में सर झुकाने जाते थे। मनुष्य अपनी इंद्रियों से छेड़छाड़ करके साधु बनने की नाकाम कोशिश करता है किंतु वह सांसारिक जीवन के सुख से वंचित रहना कतई बर्दाश्त नहीं कर पाता और उसका अंत किसी न किसी युवती के साथ बलात्कार से होता है। ऐसे तथाकथित साधु संतों की जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है।

ये केवल संतों की कौम को बदनाम नहीं कर रहें हैं और न ही केवल किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद कर रहें है बल्कि ये लोग अपने भक्तों से बलात्कार करके दुनिया में दरिंदगी फैलाने में मददगार बने हुए हैं। ये अपनो से बने विश्वासों के साथ धोका करके दुनिया में आपसी भाईचारे और सद्भाव को कलंकित कर रहें हैं। देश में अंधश्रद्धा के मकड़जाल से बुने तथाकथित बापू बने आशाराम ने भी अपने शिष्यों और भक्तों के साथ कुकर्म किया।

आशाराम का बेटा भी दु।्कर्म के लिए जेल में है। फिर सच्ेचा डेरा सौदा के महान संत रामरहीम की कहानी तो पूरी दुनिया में पढ़ी जा रही है। उसका दुराचार गिनाएं तो मुंह बोली बेटी से लेकर शिष्यों भक्तों की लंबी लाइन खड़ी दिखती है। अखबार से लेकर यू ट्यूब तक अभी रामरहीम का किस्सा ही दिख रहा है। ये सब ताजा दुष्कर्मी बाबा हैं इनके अलावा भी देश में ताजा ढोंगी-दुष्कर्मी अंधविश्वासी बाबा गांव-गांव में पनप गए हैं। हमारा सोचना है इतनी घटनाओं के बाद भी अगर बाबाओं से सावधान होना नहीं सीखेंगे तो फिर दमघोटू जीवन से मुक्ति नहीं मिल पाएगी। हमारे छत्तीसगढ़ के एक मंत्रीजी भी कंबलधारी बाबा के पास पहुंच गए थे। उनको क्या फायदा हुआ वही जाने लेकिन अनपढ़-गंवार ढोंगियों को न पहचान सके यह अलग बात है कम से कम पढ़े लिखे लोग तो बाबाओं से बचो भाई।


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