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2022 में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक वर्ष 2022 में दुनिया भर में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई.

2022 में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
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अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक साल 2022 में दुनिया भर में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर रही. इसके बावजूद यह स्तर कोरोना वैश्विक महामारी से पहले के मुकाबले कम रहा.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कहा कि हाल के दिनों में वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने के प्रयासों में पवन और सौर ऊर्जा के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. आईईए की ताजा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है सौर ऊर्जा और बिजली के वाहनों के उपयोग ने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि नहीं होने में योगदान दिया है. पिछले साल 55 करोड़ टन अतिरिक्त सीओ2 उत्सर्जन में कमी दर्ज की गई है.

अक्षय स्रोतों में वृद्धि के बावजूद, ऊर्जा से वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2022 में 0.9 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 36.8 अरब टन हो गया, जो कि तीन-चौथाई से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार था.

आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने एक बयान में कहा, "हम जीवाश्म ईंधन से बढ़ते उत्सर्जन को देखना जारी रखेंगे, जो दुनिया के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों में एक बड़ी बाधा है."

महामारी-पूर्व के स्तर से नीचे

आईईए के विश्लेषण में पाया गया कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि के लिए तेल का सबसे बड़ा योगदान था. फिर भी सीओ2 में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि कोरोना महामारी फैलने से पहले के स्तर से नीचे रही.

तेल से संबंधित उत्सर्जन में लगभग आधी वृद्धि हवाई यात्रा में बढ़ोतरी के कारण हुई. कोरोना महामारी के दौरान यात्रा और पर्यटन पर प्रतिबंध था, जब इसमें तेजी आ रही है. इस वजह से दुनिया भर में पर्यटन गतिविधियां फिर से शुरू हो गईं और इसके नतीजतन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन फिर से बढ़ गया.

पेरिस स्थित निगरानी एजेंसी के मुताबिक पिछले साल सख्त कोविड-19 नियमों और निर्माण गतिविधि में मंदी के कारण चीन का कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन स्पष्ट रूप से गिर गया. लेकिन दूसरी ओर अन्य उभरती और विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास के कारण सीओ2 उत्सर्जन में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

यूक्रेन युद्ध और ईंधन के इस्तेमाल में वृद्धि

बिरोल के मुताबिक, "ऊर्जा संकट के प्रभाव के परिणामस्वरूप वैश्विक उत्सर्जन में बड़ी वृद्धि नहीं हुई है, जिसकी शुरुआत में आशंका थी, और यह नवीकरणीय ऊर्जा, ईवी, हीट पंप और स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल से प्रेरित है. स्वच्छ ऊर्जा के बिना सीओ2 उत्सर्जन लगभग तीन गुना से अधिक होता."

आईईए का कहना है कि कोयलेसे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पिछले साल 1.6 प्रतिशत बढ़ा है. यूक्रेन में युद्ध और रूसी गैस की आपूर्ति में परिणामी कमी के कारण कई यूरोपीय देशों ने ऐसे ईंधन का उपयोग करना शुरू कर दिया है जो उच्च स्तर के प्रदूषण का उत्सर्जन करते हैं. गैस की बढ़ती कीमतों के कारण एशियाई देश भी इस ईंधन का सहारा लेने लगे हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले वर्षों में ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने के लिए जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में कटौती की जरूरत है.


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