सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा, अधिकारी बेपरवाह
शहर विकास के लिए यू तो विभिन्न मदों से करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है

काउ केचर की हुई खरीदी मगर उपयोग के नाम पर औपचारिकता
जांजगीर। शहर विकास के लिए यू तो विभिन्न मदों से करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है। मगर व्यवस्था में सुधार के लिए मैदानी अमला अब भी दुरूस्त नहीं हो पाया। जिला मुख्यालय में सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों को हटाने की पुरानी मांग अब भी अधूरी ही बनी हुई है।
इस बीच स्थानीय प्रशासन की ओर से काउ केचर की खरीदी भी की गई। मगर प्रशिक्षित स्टाफ न होने के चलते काउ केचर पालिका के बाहर शोभा बढ़ा रहा है, वहीं आवारा मवेशी सड़कों पर दुर्घटना को आमंत्रित कर रहा है। सड़क पर घूमते तथा बैठे मवेशियों से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
एनएच सहित मुख्य मार्गो के मवेशियों ने वाहन चालकों की परेशानी बढ़ा दी है। शहर के वार्ड नं 1 में बने कांजी हाउस मवेशियों के बिना सूना पड़ा है और मवेशी शहर के रोड, चौक-चौरहों पर बैठकर दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं। जांजगीर के कचहरी चौक, नैला मार्ग, केरा मार्ग, लिंक रोड सहित अन्य सड़कों में दिन भर मवेशी घूमते व बैठे रहते हैं। ऐसे में रोजाना वाहन चालक इनसे बचकर जैसे तैसे निकल जाते हैं, जबकि रात में वाहन चालकों की परेशानी बढ़ जाती है।
इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 200 में नहर पुल के आगे कई जगहों पर मवेशी घूमते रहते हैं, जबकि खोखसा फाटक के बाद कुलीपोटा, दर्राभांठा, लछनपुर चौक, कोरवापारा, बरपाली आदि जगहों में मवेशी झुंड में खड़े व बैठे रहते हैं।
खोखसा फाटक के बाद सड़कों में लाइट की व्यवस्था नहीं है। एनएच मार्ग होने के कारण दो पहिया, चार पहिया व भारी वाहन फर्राटे भरते हैं। वाहन तेज गति में होने के दौरान अचानक सामने मवेशियों का झुंड देखकर चालक हड़बड़ा जाता है औेर ऐसी स्थिति में वाहन को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है। इसके चलते दुर्घटना की स्थिति निर्मित हो जाती है। नगर में पुराना कालेज के पास कांजी हाऊस था, मगर यह भवन जर्जर हो गया।
हालांकि नगरपालिका नैला जांजगीर द्वारा शहर के वार्ड नं 1 में कांजी हाऊस संचालित किया जा रहा है। सड़कों पर घूमते मवेशियों की ओर ध्यान आकृष्ट करने वाला कोई नहीं है। इधर चारागाह सहित अन्य भूमि पर अवैध कब्जा धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके चलते मवेशियों के सामने चारा की समस्या खड़ी हो गई है। मवेशी मालिक दूध दुहने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं और मवेशी चारा की तलाश में इधर उधर भटकते रहते हैं।
आवारा मवेशियों को कांजी हाऊस तक ले जाने की जवाबदारी नगरपालिका की है, मगर जिला मुख्यालय में मवेशियों के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मवेशी मुख्य मार्गो पर विचरण करते रहते हैं। शहर में गाय, भैंस, भैंसा, बैल, बछड़ा कई लोगों ने पाला है। इनमें से ज्यादातर मवेशी इधर उधर भटकते रहते हैं।
यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों का है। कई गांवों में कांजी हाऊस तो है, मगर वहां तक मवेशी नहीं पहुंच पाते। चारा के अभाव में मवेशी कागज व पालिथीन को अपना आहार बनाते हैं। इससे उनका जीवन भी संकट में रहता है। नगरपालिका ने आवारा मवेशियों को पकड़ने के लिए काऊ केचर की व्यवस्था की गई है, मगर इसका उपयोग कभी कभार ही होता है।


