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नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षण नहीं हो पा रहा : कांग्रेस

अजय सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा टीकमगढ़ में हुई घटना को संज्ञान में लिए जाने पर आभार मानते हुए कहा कि आयोग का पूर्णकालिक अध्यक्ष न हो पाने के कारण मानवाधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही है

नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षण नहीं हो पा रहा : कांग्रेस
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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा टीकमगढ़ में हुई घटना को संज्ञान में लिए जाने पर आभार मानते हुए कहा कि राज्य में आयोग का पूर्णकालिक अध्यक्ष न हो पाने के कारण मानवाधिकारों की रक्षा सही तरीके से नहीं हो पा रही है।

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को खत लिखकर टीकमगढ़ जिला अस्पताल में गर्भवती महिला को वार्ड से निकाल दिए जाने और उसके बाद प्रसव के दौरान उसकी दो बेटियों की मौत के मामले को संज्ञान में लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी किए जाने पर आभार जताया है।

सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग में 10 वर्षो से पूर्णकालिक अध्यक्ष न होने के कारण प्रदेश में नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में कहा है कि टीकमगढ़ के शासकीय अस्पताल की घटना बताती है कि नागरिकों के साथ तंत्र कितना असंवेदनशील है। कई गंभीर प्रकार के मानव अधिकारों का हनन राज्य में हुआ है, इनमें से कई मामलों में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सीधे संज्ञान में लेना पड़ा है।

वह चाहे श्योपुर में कुपोषण से 116 बच्चों की मौत, इंदौर में एमवाय अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से 11 मरीजों की मौत, बुंदेलखंड में सूखे का संकट, रतलाम में नर्सिग छात्राओं को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किए जाने का मामला रहा हो। इन सभी में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने ही घटना की जानकारी तलब की।

सिंह ने कहा कि प्रदेश के नागरिक अपने अधिकारों का संरक्षण न होने से संवैधानिक हक से वंचित हो रहा है। प्रदेश में पिछले चार माह में 100 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर ली है। इसी साल छह जून को मंदसौर में पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों की छाती पर गोली चलाई, जबकि अनिवार्य परिस्थितियों में कमर से नीचे गोली मारने का नियम है।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों पर गोली चलाने वाले लोगों के खिलाफ आज तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। विदिशा में शासकीय अस्पताल में एक माह में 24 और शहडोल जिले में 36 बच्चों की मौत इसलिए हो गई, क्योंकि उन्हें माकूल चिकित्सा उपलब्ध नहीं हो पाई।


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