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कलकत्ता हाईकोर्ट ने नई प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा रद्द करने की चेतावनी दी

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) को 2014 और 2017 की परीक्षाओं में क्वालीफाई करने वालों के लिए समान नियमों का पालन नहीं करने पर 14 नवंबर को होने वाली नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा को रद्द करने का चेतावनी भरा आदेश दिया है

कलकत्ता हाईकोर्ट ने नई प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा रद्द करने की चेतावनी दी
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कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीपीई) को 2014 और 2017 की परीक्षाओं में क्वालीफाई करने वालों के लिए समान नियमों का पालन नहीं करने पर 14 नवंबर को होने वाली नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा को रद्द करने का चेतावनी भरा आदेश दिया है। हाल ही में, 2017 की परीक्षाओं में बैठने वालों की मेरिट सूची जारी की गई थी, जहां लिखित परीक्षा में 150 में से 82 अंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों को योग्य दिखाया गया था। हालांकि, 2014 के लिए मेरिट सूची के मामले में इस सिद्धांत का पालन नहीं किया गया था।

न्यायमूर्ति अविजीत गंगोपाध्याय की पीठ ने पहले कहा था कि 150 में से 82, यानी 54.7 प्रतिशत हासिल करने वाले उम्मीदवारों को 55 प्रतिशत के रूप में लिया जाना चाहिए, जो भर्ती परीक्षाओं के लिए निर्धारित योग्यता अंक है। वहीं बुधवार को, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि यह सिद्धांत 2017 में परीक्षा देने वालों के मामले में देखा गया था, लेकिन 2014 में नहीं। बुधवार को जब उनके संज्ञान में यह मामला आया तो वह भड़क (नाराज/गुस्सा) गए।

उन्होंने कहा, पहले मैंने कहा था कि मैं नई परीक्षाओं के लिए कोई बाधा नहीं डालूंगा। लेकिन अब मुझे उस बयान को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। अगर मैं देखता हूं कि बोर्ड मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है तो मुझे परीक्षा रद्द करने का आदेश देना होगा। डब्ल्यूबीबीपीई के वकील ने अदालत को सूचित किया कि बोर्ड द्वारा परीक्षा में 150 में से 82 अंक हासिल करने वालों को योग्य घोषित करने की घोषणा 10 नवंबर तक की जाएगी।

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय 269 पदों के लिए नई भर्तियों के प्रति बोर्ड के ²ष्टिकोण से भी नाखुश हैं, जो कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार अवैध रूप से नौकरी हासिल करने वालों की सेवा समाप्त करने के बाद खाली हो गए थे। हालांकि डब्ल्यूबीबीपीई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन बोर्ड की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद बोर्ड ने उन 269 पदों पर भर्तियों के लिए अधिसूचना जारी की थी, केवल इसलिए कि इसे बाद में वापस ले लिया जाए।


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