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कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को कर्मचारियों के लंबित डीए को मंजूरी देने का निर्देश दिया

पश्चिम बंगाल सरकार को शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट से एक और झटका लगा, जब एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को अगले तीन महीनों के भीतर राज्य सरकार के कर्मचारियों के लंबित महंगाई भत्ते को मंजूरी देने का निर्देश दिया

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार को कर्मचारियों के लंबित डीए को मंजूरी देने का निर्देश दिया
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार को शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट से एक और झटका लगा, जब एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को अगले तीन महीनों के भीतर राज्य सरकार के कर्मचारियों के लंबित महंगाई भत्ते को मंजूरी देने का निर्देश दिया।

इस मामले में राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) के पहले के आदेश को बरकरार रखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि महंगाई भत्ता प्राप्त करना राज्य सरकार के कर्मचारियों का मौलिक और कानूनी अधिकार है।

2016 में, राज्य सरकार के कर्मचारियों ने पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार 32 प्रतिशत महंगाई भत्ते की मांग करते हुए सैट में एक याचिका दायर की थी। यह याचिका कन्फेडरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज की ओर से दायर की गई है।

लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, सैट ने जुलाई 2020 में, राज्य सरकार को केंद्र सरकार के उनके समकक्षों के साथ अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का भुगतान करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने उस आदेश को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

अंतत: शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि अगले तीन महीनों के भीतर महंगाई भत्ते का 32 प्रतिशत भुगतान किया जाए।

कन्फेडरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज श्यामल मित्रा के मुताबिक, दो चरणों में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आया यह फैसला राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी जीत है। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार अब महंगाई भत्ते के भुगतान को रोक नहीं सकती और ऐसा करने के लिए वह धन की कमी का बहाना नहीं बना सकती। मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अनुरोध करता हूं कि इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं और जुलाई 2009 से लंबित महंगाई भत्ते के भुगतान का तुरंत निर्देश दें।"

रिपोर्ट तैयार किए जाने तक राज्य सरकार की ओर से इस बात की कोई पुष्टि नहीं की गई थी कि वे इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे या कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ के निर्देश का पालन करेंगे।


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