राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट भ्रामक : माकपा
माकपा ने राफेल सौदे के बारे में सीएजी की रिपोर्ट को भ्रामक और अस्पष्ट बताते हुए कहा है कि इस रिपोर्ट में ऑफ सेट अनुबंध का कोई जिक्र ही नहीं है और न तो रिलायन्स डिफेंस का उल्लेख है

नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) ने राफेल सौदे के बारे में सीएजी की रिपोर्ट को भ्रामक और अस्पष्ट बताते हुए कहा है कि इस रिपोर्ट में ऑफ सेट अनुबंध का कोई जिक्र ही नहीं है और न तो रिलायन्स डिफेंस का उल्लेख है । इतना ही नही इसमें यह भी नहीं बताया गया है कि किस तरह हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड)(एचएएल) को ऑफ सेट अनुबंध से हटाया गया।
पार्टी पोलित ब्यूरो ने आज संसद में पेश सीएजी की राफेल पर आयी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए यह भी कहा कि 2007 के अनुबंध में प्रौद्योगिकी स्थानान्तरण का प्रावधान था , लेकिन मोदी सरकार में हुए अनुबंध में यह प्रावधान नहीं है जिसके कारण विमान की कीमत कम आंकी गयी हो लेकिन वास्तविकता यह है कि कीमत में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि कैग ने अपनी रिपोर्ट में विमानों की कीमत 2.83 प्रतिशत कम होने का दावा किया गया है।
पार्टी की विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि 2007 के सौदे में 126 विमानों की खरीद की बात कही गयी थी लेकिन मोदी सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर 36 विमान कर दिया। सीएजी को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए लेकिन उसने इस का जिक्र भी नहीं किया ।
सीएजी ने स्वीकार किया है कि नए सौदे में बैंक गारंटी का प्रावधान नही है । इससे दसाल्ट कम्पनी को फायदा है लेकिन भारतीय सौदा करने वाली टीम ने 57 करोड़ 40 लाख यूरो की बैंक गारंटी का हिसाब लगाया है।
पार्टी ने कहा है कि सरकार ने सीएजी को भी सभी जानकारियां नहीं दी हैं और सीएजी ने सौदे में भ्रष्टाचार और क्रोनी पूंजीवाद से उसके रिश्ते पर कोई विचार ही नहीं किया है इसलिए यह रिपोर्ट भ्रामक अस्पष्ट ही नहीं बल्कि पूरा भी नहीं है।


