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कैबिनेट ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी की पास, अब काटे गए पेड़ों में से 80 प्रतिशत का करना होगा ट्रांसप्लांटेशन : सीएम

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को दिल्ली कैबिनेट की बैठक हुई

कैबिनेट ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी की पास, अब काटे गए पेड़ों में से 80 प्रतिशत का करना होगा ट्रांसप्लांटेशन : सीएम
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नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को दिल्ली कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में कैबिनेट ने प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर दो ऐतिहासिक निर्णय लिए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, "कैबिनेट ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास कर दी है। अब एक पेड़ काटने के बदले 10 पौधे तो लगाने ही होंगे, इसके अतिरिक्त उसमें से 80 प्रतिशत पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करना होगा। दिल्ली सरकार पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करने वाली एजेंसी का एक पैनल बनाएगी और संबंधित विभाग इनमें से किसी एजेंसी से काम करा सकते हैं।" इस बैठक में सीएम ने कहा कि, "ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों में से 80 प्रतिशत से कम जीवित होने पर उस एजेंसी के भुगतान में कटौती की जाएगी और 80 प्रतिशत से ज्यादा जीवित होने पर पूरा भुगतान किया जाएगा।"

दिल्ली सरकार डेडीकेटेड ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल और स्थानीय कमेटी बना रही है। स्थानीय कमेटी ट्रांसप्लांट हुए पेड़ों की जांच और निगरानी करने के साथ सही ट्रांसप्लांटेशन होने पर प्रमाण पत्र देगी। उन्होंने आगे कहा, "अभी कुछ दिन पहले दिल्ली के लोगों ने मिलकर प्रदूषण के खिलाफ एक महा अभियान 'युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध' शुरू किया था। हम सब मिल कर आने वाले समय में इस अभिायन के तहत बहुत सारे काम करेंगे। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी लागू हो रही है, ट्री ट्रांसप्लांटेशन और पराली से निपटने की बात समेत बहुत से हमने काम कहे थे। उसी का एक अंग ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी था। दिल्ली कैबिनेट की बैठक हुई थी। उस बैठक में ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास कर दी गई है।"

दिल्ली पूरे देश में पहला प्रदेश है, जहां पर ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास की गई है। इसमें एक पेड़ कटेगा तो क्षतिपूर्ति के तौर पर 10 पौधे तो लगाने होंगे, उसके अतिरिक्त उस पेड़ को काटना नहीं है। सीएम ने कहा कि, "आज विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि उस पेड़ को नीचे से खोदकर कर पूरे के पूरे पेड़ को उठा कर ट्रक में डाल कर दूसरी जगह आरोपित किया जा सकता है, दूसरी जगह लगाया जा सकता है, इसको ट्रांसप्लांटेशन कहते हैं। उस पेड़ को काटने की जरूरत नहीं है, बल्कि उसको नीचे से वैज्ञानिक तरीके से उखाड़ कर और केमिकल का इस्तेमाल करके ट्रक में डालकर उसको दूसरी जगह लगाया जाता है।"

दिल्ली सरकार के तहत एक डेडीकेटेड ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल भी बन रहा है और लोकल कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें सरकारी कर्मचारी, स्थानीय नागरिक और आरडब्ल्यूए के लोग शामिल होंगे। यह कमेटी ट्रांसप्लांट किए हुए पेड़ों की जांच करेगी और उसकी निगरानी करेगी। साथ ही कमेटी प्रमाण पत्र भी देगी कि ट्री ट्रांसप्लांटेशन सही हुआ है।

सीएम केजरीवाल ने कहा कि, "कैबिनेट ने प्रदूषण के खिलाफ आज एक और बड़ा निर्णय लिया है। कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि दिल्ली के अंदर एक स्मॉग टॉवर लगाया जाएगा। यह स्मॉग टॉवर दुनिया का दूसरा स्मॉग टॉवर होगा। पहला स्मॉग टॉवर चीन में लगा था और दूसरा यहां पर लग रहा है। दिल्ली में दो स्मॉग टॉवर लग रहे हैं, एक केंद्र सरकार लगा रही है और एक दिल्ली सरकार लगाने जा रही है। केंद्र सरकार आनंद विहार में लगा रही है और दिल्ली सरकार कनॉट प्लेस में लगा रही है। ये स्मॉग टॉवर चीन वाले स्मॉग टॉवर की तकनीक से अलग हैं।"

"चीन वाले तकनीक के अंदर स्मॉग टॉवर नीचे से हवा खींचता है और हवा को साफ करके ऊपर को फेंकता है। वहीं, हमारा स्मॉग टॉवर ऊपर से हवा खींचेगा और उस हवा को साफ करके नीचे फेंकेगा, ताकि लोगों को नीचे साफ हवा मिल सके। यह अपनी तरह का पहला स्मॉग टॉवर होगा। आज इस स्मॉग टॉवर को लगाने के लिए दिल्ली कैबिनेट ने 20 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले 10 महीने के अंदर यह बनकर तैयार हो जाएगा। इसे हम एक पायलट प्रोजेक्ट बोल रहे हैं, क्योंकि यह सफल हुआ, तो फिर इस तरह के कई और स्मॉग टॉवर दिल्ली के अंदर लगाए जाएंगे।"


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