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सीएए विरोध : जामिया छात्रों के बीच पहुंचे दिल्ली के कई इमाम

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने के लिए दिल्ली की कई बड़ी मस्जिदों के इमाम गुरुवार शाम जामिया मिलिया इस्लामिया पहुंचे

सीएए विरोध : जामिया छात्रों के बीच पहुंचे दिल्ली के कई इमाम
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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने के लिए दिल्ली की कई बड़ी मस्जिदों के इमाम गुरुवार शाम जामिया मिलिया इस्लामिया पहुंचे। यहां विश्वविद्यालय के बाहर चल रहे प्रदर्शन में शामिल होने आए सभी इमामों ने इस कानून को देश की मर्यादा के खिलाफ बताया और प्रदर्शनकारी छात्रों को पूरा समर्थन देने की बात कही है। यह पहला मौका है, जब बड़ी धार्मिक हस्तियां दिल्ली नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को अपना समर्थन देने सार्वजनिक तौर पर एक साथ सामने आई हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले, दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा था कि सीएए व एनआरसी अलग-अलग कानून हैं। सीएए का भारतीय मुसलमानों से कुछ लेना-देना नहीं है। गुरुवार को जामिया पहुंचने वालों में जामा मस्जिद के शाही इमाम शामिल नहीं थे।

सीएए के खिलाफ दिल्ली के सीलमपुर इलाके में प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। इस हिंसा के बाद समाज के कई तबके के लोग प्रदर्शनकारियों से शांति की अपील के लिए आगे आए थे। जामा मस्जिद के शाही इमाम बुखारी ने कहा था, "प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। इससे हमें कोई भी रोक नहीं सकता, लेकिन प्रदर्शन के दौरान हिंसा नहीं होनी चाहिए। हम अपनी भावनाओं को काबू में रखें।"

बुखारी ने सीएए और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) में काफी फर्क होने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ सीएए कानून बना है, एनआरसी कानून नहीं बना है। सीएए के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता नहीं मिलेगी, लेकिन भारत के मुसलमानों के साथ इसका कोई लेना-देना नहीं है।


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