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सीएए-एनआरसी का विरोध संस्कृति और इतिहास को बचाने का आंदोलन : कन्हैया

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)नेता कन्हैया कुमार ने आज कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में देश भर में जारी आंदोलन संविधान को तोड़ने के लिए नहीं बल्कि संस्कृति और इतिहास को बचाने का आंदोलन है

सीएए-एनआरसी का विरोध संस्कृति और इतिहास को बचाने का आंदोलन : कन्हैया
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गया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नेता कन्हैया कुमार ने आज कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में देश भर में जारी आंदोलन संविधान को तोड़ने के लिए नहीं बल्कि संस्कृति और इतिहास को बचाने का आंदोलन है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री कुमार ने यहां एनआरसी, सीएए, एनपीआर के विरोध में गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एनआरसी, सीएए, एनपीआर के आंदोलन में जिस तरह से महिलाओं ने अपने हाथों में तिरंगा थामा है उसके लिए वह सभी का शुक्रगुजार हैं। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन संविधान को तोड़ने के लिये नहीं बल्कि संस्कृति एवं इतिहास को बचाने का आंदोलन है।

भाकपा नेता ने कहा कि कल जब इतिहास लिखा जाएगा तो हमारा नाम देश तोड़ने वालों में नहीं बल्कि देश बचाने वाले में लिखा जाएगा। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अलग-अलग जगहों पर घूम-घूम कर बोल रहे हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग देश की जनता को डरा रहे हैं और गुमराह कर रहे हैं। हालांकि सच्चाई यह है वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर पूरे देश को गुमराह कर रहे हैं।

श्री कुमार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि वह जिस मठ के महंत थे, उस मठ के साथ उन्होंने गद्दारी की है। जो लोग अपना नाम बदल लेते हैं उनको स्टेशन का नाम बदलने में भी बहुत मजा आता है लेकिन उसको अब योगी नहीं बोलते हैं उसको जोगी बोलते हैं। भगवान बुद्ध राजपाट छोड़ करके ज्ञान की खोज में बोधगया आ गए थे लेकिन योगी जी ने क्या किया, घर द्वार छोड़ दिया और जोगी का कपड़ा पहनकर भगवान बनकर बैठ गए।

भाकपा नेता ने कहा कि छात्र आंदोलन बिहार से ही शुरू हुआ था और एनआरसी, सीएए, एनपीआर के विरोध में आंदोलन भी बिहार की धरती से शुरू हो गया है। बिहार के लोग देश के संविधान पर भरोसा करते हैं और असली और नकली का पहचान करना भी जानते हैं। हर पीली चीज सोना नहीं होता है। हम उस विचारधारा के खिलाफ है, जो इंसान से इंसान को लड़ाने का काम किया गया है।


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