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माह के अंत तक शुरू हो जाएगी बॉटेनिकल गार्डन-कालका मेट्रो

 दिल्ली मेट्रो एक बार फिर एनसीआर में प्रवेश करने जा रही है और इस बार कालका जी मंदिर से नोएडा के बॉटेनिकल गार्डन में मेट्रो इसी माह के अंत तक शुरू की जा सकती है

माह के अंत तक शुरू हो जाएगी बॉटेनिकल गार्डन-कालका मेट्रो
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नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो एक बार फिर एनसीआर में प्रवेश करने जा रही है और इस बार कालका जी मंदिर से नोएडा के बॉटेनिकल गार्डन में मेट्रो इसी माह के अंत तक शुरू की जा सकती है। गहरे गुलाबी रंग की इस लाइन के शुरू होने से बॉटेनिकल गार्डन से कालका जी पहुंचने में अभी करीबन 52 मिनट लगते हैं लेकिन इस लाइन के शुरू होने पर यह समय 19 मिनट में सिमट जाएगा। इस लाइन के शुरू होने से फरीदाबाद से भी आवाजाही जल्द हो सकेगी।

मेट्रो को उम्मीद है कि लाइन के शुरू होने के बाद मौजूदा 30 हजार यात्रियों वाले बॉटेनिकल गार्डन इंटरचेंज का 1.23 लाख यात्री इस्तेमाल करेंगे।
इसी तरह से फरीदाबाद जाने के लिए भी समय 58 मिनट से घटकर फरीदाबाद के एनएचपीसी चौक तक महात्र 36 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। इसके लिए कालका मंदिर से मेट्रो बदलनी होगी। जबकि नोएडा सिटी सेंटर से जसोला अपोलो अस्पताल आने के लिए भी 50 मिनट के स्थान पर 26 मिनट लगेंगे। कालका मंदिर से बॉटेनिकल गार्डन के बीच नौ स्टेशन हैं जिसमें कालका मंदिर के अलावा सभी ऐलिवेटेड हैं। मेट्रो अधिकारियों ने बताया कि जब बॉटेनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम तक पूरी लाइन शुरू हो जाएगी तब गुरूग्राम पहुंचने के समय में भी कमी आएगी।

यात्रियों को हौजखास से मेट्रो लेने पर नोएडा से गुरूग्राम जाने के लिए 50 मिनट का समय लगेगा जबकि अभी राजीव चौक से होते हुए 1.5 घंटे से अधिक का समय लगता है। इसी के साथ नोएडा सीधे घरेलू हवाई अड्डे से जुड़ जाएगा और कुल 40 मिनट में कोई भी अपनी फ्लाइट पकड़ने के लिए पहुंच सकेगा। इसके साथ ही पहली बार मेट्रो ने ऐलिवेटेड यार्ड का निर्माण जसोला विहार में किया है।

दरअसल 36 किलोमीटर लंबी लाइन के लिए यह इकलौता डिपो बनाया जाना था और यहां अधिग्रहण की समस्या को देखते हुए 22.5 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता थी लेकिन आधी मिलने पर यहां ऐलिवेटेड यार्ड का प्रयोग किया गया। कालिंदी कुंज में बने इस यार्ड में ऑटो वाशिंग प्लांट लगाया गया है ताकि मेट्रो ट्रेन की धुलाई हो सके। यहां एक साथ 27 ट्रेन के लिए स्थान बनाया गया है। इसके साथ ही यहां सोलर पैनल भी लगाए गए हैं जाकि बिजली उत्पादन के लिए निर्भरता को बढ़ाया जा सके।



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