सोलर प्लांट लगाकर किसान खुद बिजली बनाकर करेंगे खेती
राजस्थान में राज्य सरकार ने किसानों को बिजली की कटौती के कारण बर्बाद होने वाली फसल से छुटकारा दिलाने के लिए कुसुम (किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान) योजना शुरू की है

झुंझुनूं । राजस्थान में राज्य सरकार ने किसानों को बिजली की कटौती के कारण बर्बाद होने वाली फसल से छुटकारा दिलाने के लिए कुसुम (किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान) योजना शुरू की है, सोलर प्लांट लगाकर किसान खुद बिजली बनकार खेती कर सकेंगे।
योजना में किसान शहरों की तर्ज पर खेत में सोलर प्लांट और सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन कर बेच भी सकेंगे। इसमें 75 एचपी लोड तक के किसान भी शामिल हो पाएंगे। प्लांट की कुल लागत में से 30 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार, 30 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। इसके साथ कृषि उपभोक्ताओं को लोन के रूप में 30 प्रतिशत रकम नाबार्ड फाइनेंस करेगा। किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। पांच अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेच कर लाभ कमा सकेंगे। ऐसे किसानों की सूची बनाई जा रही है जिनके अधिक बिजली की खपत होती है।
अभी 3.5 किलोवाट प्लांट की रेट 10 प्रतिशत सब्सिडी के बाद भी 2.50 लाख रुपए के करीब पड़ती है। शहरी क्षेत्रों में राजस्थान के अजमेर विद्युत वितरण कम्पनी (डिस्कॉम) ने ये व्यवस्था पहले ही लागू कर रखी है। ऐसे में अगर 60 प्रतिशत सब्सिडी और 30 प्रतिशत नाबार्ड भुगतान करता है तो इतनी क्षमता का प्लांट लगाने के लिए किसान को40 हजार रुपए तक का प्राथमिक खर्च आएगा। केंद्र सरकार की कुसुम योजना के जरिये किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है।
अजमेर डिस्कॉम झुंझुनूं के अधीक्षण अभियंता एम के सिंघल का कहना है कि अधिकारियों को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं। साढ़े सात एचपी लोड वाले किसानों की सूची बनाई जा रही है। अतिरिक्त बिजली बनाकर ग्रिड को भेजने पर प्रति यूनिट निर्धारित रुपए किसान को दिए जाएंगे। किसान नजदीकी डिस्कॉम कार्यालय में सहायक अभयन्ता से संपर्क कर सकते हैं। आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरूरी है। आवेदन के बाद सरकार किसान के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी। किसान, डिस्कॉम और बैंक के साथ तृतीय पक्ष एग्रीमेंट होगा। सोलर प्लांट की क्षमता एग्रीकल्चर पंप की क्षमता से दोगुना तक होगी। लोन की किश्त (मूल और ब्याज) सोलर प्लांट में अतिरिक्त उत्पन्न बिजली को बेच कर मिलने वाली रकम से चुकाई जाएगी। लोन की अवधि अधिकतम सात साल रहेगी। बिजली बेचने से हुई कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाएगा।


