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ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं व्यापारी

ई-कॉमर्स कम्पनियों के खिलाफ दिल्ली व देश के दुकानदार फिर लामबंद होने लगे हैं

ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं व्यापारी
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नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कम्पनियों के खिलाफ दिल्ली व देश के दुकानदार फिर लामबंद होने लगे हैं।

व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई-कॉमर्स कम्पनी अमेजऩ, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील सहित अन्य कम्पनियों पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि ये कम्पनियां सेल लगा कर सरकार की एफडीआई नीतियों का खुला उल्लंघन कर रही हैं। इसलिए इनकम्पनियों के व्यापार पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। कैट ने कहा कि एफडीआई नीति के अंतर्गत ये कंपनियां रिटेल ट्रेड नहीं कर सकती हैं।

व्यापारियों ने आरोप लगाया कि कंपनियां नियमों को ताक पर रखते हुए खुले रूप से रिटेल व्यापार कर रही हैं जो वाणिज्य मंत्रालय के डीआईपीपीविभाग द्वारा 29 मार्च,2016 को ई कॉमर्स के लिए जारीनीति के विरुद्ध है जिसमें ई कॉमर्स में मार्केटप्लेस मॉडलको केवल बीटूबी व्यापार करने की ही इजाजत है लेकिनये कंपनियां सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को अपने पोर्टलपर आकर्षित करने हेतु बड़े-बड़े सेल के विज्ञापन दे रहीहैं जो ये नहीं कर सकती !

केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को आज दर्ज एक शिकायत में कैट ने मांग की है की इन कम्पनियों को यह सेल लगाने से रोका जाए और इनकेखिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए।

कैट ने एफडीआईपालिसी 2016 की धारा 2.3 की उपधारा 9 का हवाला देते हुए कहा कि इस धारा में यह स्पष्ट है की ईकॉमर्स मार्केट प्लेस मॉडल केवल तकनिकी प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगा और किसी भी रूप में सीधे अथवाअप्रयत्क्ष रूप से कीमतों को प्रभावित नहीं करेगा व नही कोई असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाएगा !धारा 2 .3 की उपधारा 2 के अन्तर्गत ई कॉमर्स कंपनी केवलअपने पोर्टल पर पंजीकृत विक्रेताओं से ही व्यापार करेंगीजबकि यह कंपनियां बड़े बड़े विज्ञापन देकर सीधे रिटेलव्यापार कर रही हैं जो पालिसी के अनुसार प्रतिबंधित है।

कैट ने अपनी शिकायत के सन्दर्भ में श्री प्रभु से कहा है कि वे सम्बंधित अधिकारीयों को तुरंत जरूरी कार्यवाहीकरने का निर्देश दें ! कैट ने इस सम्बन्ध में उनसे मिलनेका समय भी माँगा है। कैट के राष्टï्रीय अध्यक्ष बीसीभरतिया एवं राष्ट्रीयमहामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने इन कम्पनियों परआरोप जड़ते हुए कहा की सरकार की नीति काउल्लंघन करना इन कंपनियों की आदत बन गयी है औरये काम बेख़ौफ़ होकर खुले आम किया जा रहा है।


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