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व्यवसायी की आत्महत्या मामले में खुलासा नहीं

 रायगढ़ के क्रशर व्यवसायी तथा बिल्डर कैलाश अग्रवाल की आत्महत्या का मामला अभी भी फाईलों में जांच के नाम पर दबा हुआ है और इस पूरे मामले में खुलासा सामने नहीं आने से चर्चाओं का दौर भी लगातार जारी है

व्यवसायी की आत्महत्या मामले में खुलासा नहीं
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रायगढ़। रायगढ़ के क्रशर व्यवसायी तथा बिल्डर कैलाश अग्रवाल की आत्महत्या का मामला अभी भी फाईलों में जांच के नाम पर दबा हुआ है और इस पूरे मामले में खुलासा सामने नहीं आने से चर्चाओं का दौर भी लगातार जारी है। रायगढ़ के समलेश्वरी मार्ग पर रहने वाले स्व. कैलाश अग्रवाल शुरू से ही बड़े लोगों के साथ मिलकर मॉल तथा बिल्डिंग के साथ अन्य व्यापार में जुड़कर काम करते आ रहे थे।

लगभग 4 माह पहले अपने ही घर में फांसी लगाने की बात किसी के गले नहीं उतर रही है। चूंकि अपने स्वभाव के धनी कैलाश अग्रवाल पैसे के मामले में परेशान जरूर थे पर देनदारी के साथ-साथ उनकी लेनदारी भी शहर के कई बड़े व्यापारियों से निकल रही थी। इतना ही नही पार्टनरशीप से जुड़े उनके साथी भी उनके पैसे से ही कारोबार चलाते आ रहे थे और अचानक उनका आत्महत्या करना किसी को समझ में नही आ रहा है। इस पूरे मामले में सिटी कोतवाली पुलिस ने घर से आत्महत्या के दौरान न तो कोई सुसाईट नोट बरामद किया है और न ही कोई संदिग्ध सामान। लेनिक पुलिस ने कैलाश अग्रवाल के मोबाईल फोन को अभी तक नही खंगाला है।

जानकार सूत्र बताते है कि मोबाईल की अगर जांच की जाए तो कई ऐसे नंबर सामने आएंगे जिनसे कैलाश अग्रवाल का लेन देन था बल्कि उनकी करोड़ो की राशि पार्टनरों ने ले रखी थी। इतना ही नही मोबाईल डिटेल में उनको धमकी देने वालों के नंबर भी सामने आ सकते है जो सट्टे के बडे कारोबार से जुड़े हुए है।

कैलाश अग्रवाल के आत्महत्या के बाद सिटी कोतवाली ने मामला तो दर्ज कर लिया था और इसी दौरान पूर्व थाना प्रभारी सुशांतो बनर्जी के क्राईम ब्रांच में स्थानांतरित होनें के बाद यह जांच अभी तक लंबित है। इस पूरे मामले में सिटी कोतवाली थाना प्रभारी आर.के. मिश्रा कहते हंै कि उन्होंने इस केश की जानकारी लेने के लिए जांच अधिकारी को तलब किया है साथ ही साथ उनका यह भी कहना है कि तथ्यों के मामले में उन्हें अभी पूरी जानकारी नही है और अब जल्द ही डायरी तलब करके जांच में तेजी लाई जाएगी। थाना प्रभारी के द्वारा अगर संबंधित जांच अधिकारी को निर्देश देकर जांच में तेजी लाई जाती है तो कई महत्वपूर्ण तथ्य कैलाश अग्रवाल की आत्महत्या के सामने आएंगे। चूंकि कैलाश अग्रवाल द्वारा गौरीशंकर मंदिर के पास स्थित मॉल में पार्टनरशीप थी और उनके निधन के बाद पार्टनर उल्टे ही कैलाश अग्रवाल को कर्जदार बताकर उनके पुराने घर तथा अन्य जमीनों को बेचकर अपनी उधारी वसूलने में लगे हुए है।

हालांकि परिवार के लोग इस पूरे मामले में कुछ भी नही कह रहें है चूंकि उन्हें कैलाश अग्रवाल के लेन देन संबंधी जानकारी नही थी और अब उनके निधन के बाद लगातार देन दार उनकी पुराने जमीने जायदाद बिक जाने का हवाला देकर धीरे-धीरे उनकी संपत्ति हड़पने में लगे है।

बहरहाल देखना यह है कि इस पूरे मामले में पुलिस की जांच अगर सही ढंग से हो जाती है तो कैलाश अग्रवाल के आत्महत्या के पीछे के गहरे राज सामने आएंगे और वे चेहरे बेनकाब होंगे जो सफेद पोश बनकर रायगढ़ में अपने बड़े कारोबार को बिना लागत से अंजाम दे रहे है।


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