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टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिकी तनाव पर रघुराम राजन ने बताई मुख्‍य वजह

रघुराम राजन ने कहा कि ट्रंप ने संघर्ष विराम का श्रेय स्वयं लिया था,लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि पाक की ओर से दो बार बातचीत के अनुरोध के बाद ही युद्धविराम हुआ।

टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिकी तनाव पर रघुराम राजन ने बताई मुख्‍य वजह
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  • वाशिंगटन। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ इसलिए नहीं लगाया क्योंकि नई दिल्ली ने रूस से तेल खरीदा था बल्कि मई महीने में राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी प्रमुख कारण थी। ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने मई महीने में पाकिस्तान के साथ चार दिन के छोटे युद्ध के दौरान सीजफायर में मदद की थी,जबकि भारत ने इस दावे को नकार दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने अच्छा खेला। राजन ने आगे कहा कि असल में 'व्हाइट हाउस में मौजूद लोगों' की वजह से ही भारत के साथ तनाव बढ़ा। उन्होंने यह टिप्पणियां 4 दिसंबर को यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के यूबीएस सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स इन सोसाइटी में आयोजित एक कार्यक्रम में की। रघुराम राजन 2013 से 2016 के बीच रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर रहे हैं।

    भारत ने ट्रंप के दावे को नकारा

    रघुराम राजन ने कहा कि ट्रंप ने उस समय भारत-पाकिस्‍तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय स्वयं लिया था,लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से दो बार बातचीत के अनुरोध के बाद ही युद्धविराम हुआ। पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप को धन्यवाद दिया, जबकि उस समय के भारतीय सेना के नेतृत्व ने कहा था कि संघर्ष विराम भारत-पाक बातचीत से ही संभव हुआ। उनके मुताबिक, यही बयानबाज़ी व्हाइट हाउस को पसंद नहीं आई।

    टैरिफ के पीछे रूसी तेल नहीं, ट्रंप का व्‍यक्‍तित्‍व है

    कार्यक्रम में मॉडरेटर के यह पूछने पर कि क्या मिस्टर ट्रंप को खुश करने का तरीका रूस से कम तेल खरीदना है, रघुराम राजन ने कहा, मुझे नहीं लगता कि रूस से तेल खरीदना कभी मुख्‍य मुद्दा था। आपने कल ही देखा कि हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बान द्वारा रूस से तेल खरीदने पर भी ट्रंप ने कोई आपत्ति नहीं जताई। राजन ने कहा, मुझे लगता है कि मुख्‍य मुद्दा पर्सनैलिटी का था। भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रोकने का ट्रंप द़वारा क्रेडिट लेने के बाद भारत की प्रतिक्रिया थी।

    सच्चाई शायद कहीं बीच में है

    उन्होंने आगे कहा, पाकिस्तान ने इसे सही तरीके से खेला। यह सब मिस्टर ट्रंप की वजह से था। भारत ने यह तर्क देने की कोशिश की कि दोनों देश ट्रंप के बिना ही एक समझौते पर पहुंच गए थे। सच्चाई शायद कहीं बीच में है। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर इसका असर यह हुआ कि भारत को 50% टैरिफ मिला, पाकिस्तान को 19% का टैरिफ। हालांकि, रघुराम राजन ने साफ किया कि उन्हें नहीं पता कि भारत और अमेरिका के बीच क्या हुआ। उन्‍होंने उम्मीद जताई कि लंबे समय तक दोनों तरफ समझदारी बनी रहेगी।" भारत की पाक ठिकानों पर कार्रवाईआपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान के समर्थन वाले आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की हत्‍या कर दी थी। इसके जवाब में नई दिल्ली ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आतंकवादियों के ठिकानों पर एक सटीक, सीमित सैन्‍य ऑपरेशन सिंदूर किया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी सेना ने मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल कर भारतीय सैन्‍य और नागरिक ठिकानों पर हमले किए, तो भारतीय सेना ने इस्लामाबाद के सैन्‍य और न्यूक्लियर सुविधाओं पर हमला किया। इससे पाकिस्तानी नेतृत्‍व को बीच-बचाव के लिए अमेरिका के पास जाना पड़ा। सीजफायर के बाद पाकिस्तानी लीडरशिप ने सीजफायर के लिए ट्रंप की तारीफ की और उन्हें धन्यवाद दिया, वही भारतीय सैन्‍य नेतृत्‍व ने कहा कि यह तब हुआ, जब पकिस्‍तानी सेना ने नई दिल्ली को दो बार फोन करके कई दिनों से चल रही लड़ाई को रोकने की मांग की।


    भारत ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा

    अगस्त में अमेरिका ने ज्‍यादातर भारतीय आयात पर 50% तक टैरिफ लगा दिया। उनका कहना था कि नई दिल्ली ने अमेरिकी बैन के बावजूद डिस्काउंट पर रूसी तेल खरीदा और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को फंड किया। ट्रंप ने इस कदम को भारत के साथ ट्रेड रिश्ते के खिलाफ अमेरिका का एकतरफा बदला बताया। तनाव तब और बढ़ गया जब ट्रंप के साथियों जैसे पीटर नवारो और स्टीफन मिलर ने इंडियन पॉलिटिकल लीडरशिप पर पर्सनल अटैक किए। नवारो ने जातिवादी और मजाक उड़ाने वाली बातें भी कहीं, जिससे ट्रेड विवाद एक अजीब तरह से दुश्मनी भरे टकराव में बदल गया।

    भारत ने मध्‍यस्‍थता को नहीं दी मंजूरी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी के जरिए डोनाल्ड ट्रंप को बताया कि "भारत और पाकिस्तान के बीच मध्‍यस्‍थता पर कोई बातचीत नहीं हुई, जिससे यह साफ हो गया कि नई दिल्ली ने किसी भी थर्ड पार्टी के शामिल होने के सुझाव को मना कर दिया। बाद में मोदी ने दोहराया कि भारत ने पहले भी मध्‍यस्‍थता को मंजूरी नहीं दी और न ही कभी देगा। यह एक लंबे समय से चली आ रही राष्‍ट्रीय राय है कि भारत-पाकिस्तान के झगड़ों या किसी दूसरे देश के साथ दिद्पक्षीय झगड़ों को मैनेज करने में विदेशी ताकतों की कोई भूमिका नहीं है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि सीजफायर सिर्फ सीधे बातचीत से हुआ है। दोनों पड़ोसियों के बीच सेना से सेना चैनल पहले से मौजूद है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि यह एक दिद्पक्षीय नतीजा था,न कि वॉशिंगटन की मध्यस्थता वाला।


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