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फेस्टिवल सीजन के चलते सोना-चांदी की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, जानिए आज का रेट

फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती और फेस्टिव सीजन की मांग बढ़ने से सेंटीमेंट को बढ़ावा मिला, जिसके चलते सोने की कीमतें मंगलवार को मजबूती के साथ खुलीं

फेस्टिवल सीजन के चलते सोना-चांदी की कीमतों में हुई बढ़ोतरी, जानिए आज का रेट
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फेस्टिव डिमांड के चलते सोना-चांदी की कीमतों में 1 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल

मुंबई। फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती और फेस्टिव सीजन की मांग बढ़ने से सेंटीमेंट को बढ़ावा मिला, जिसके चलते सोने की कीमतें मंगलवार को मजबूती के साथ खुलीं।

शुरुआती कारोबार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने की दिसंबर वायदा कीमतें सुबह 11 बजकर 5 मिनट पर 1,25,200 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बनी हुई थीं।

इसी तरह, चांदी की कीमतों में तेजी देखी जा रही थी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर चांदी की दिसंबर वायदा कीमतें 1,56,900 प्रति किलोग्राम पर बनी हुई थीं।

एनालिस्ट ने कहा, रुपए में गोल्ड का सपोर्ट लेवल 1,23,150 रुपए -1,22,580 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बना हुआ है, वहीं रेजिस्टेंस 1,24,650 रुपए-1,25,200 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बना हुआ है। इसी तरह, चांदी का सपोर्ट लेवल 1,53,650रुपए -1,52,800 रुपए प्रति किलोग्राम और रेजिस्टेंस 1,56,140 रुपए- 1,57,000रुपए प्रति किलोग्राम पर बना हुआ है।

सोना-चांदी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मजबूत रैली के चलते घरेलू बाजारों में यह शार्प मूव देखा जा रहा है।

यूएस फेड के ब्याज दरों में कटौती को लेकर बढ़ती उम्मीदों ने निवेशकों को सेफ-हेवन एसेट्स गोल्ड की ओर शिफ्ट के लिए प्रेरित किया, जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें पिछले सत्र में 2 प्रतिशत तक बढ़ गईं।

सोना अक्सर लो-इंटरेस्ट रेट वाले एनवायरमेंट में बेहतर प्रदर्शन करता है, क्योंकि यह कीमती धातु बॉन्ड और डिपॉजिट की तरह ब्याज जेनरेट नहीं करती।

जब ब्याज दरें कम होती हैं और दूसरे निवेशों से रिटर्न घटता है तो निवेशकों के लिए सोना एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।

भारत में शादियों के इस सीजन में सोने को लेकर मांग बढ़ जाती है, जिसके चलते भी कीमतों में तेजी देखी जाती है।

निवेशकों का ध्यान अब अमेरिका के महत्वपूर्ण आर्थिक डेटा पर बना हुआ है, जिसमें रिटेल सेल, बेरोजगारी दावे और प्रोड्यूसर प्राइस इंफ्लेशन के आंकड़ें शामिल हैं।

इन आंकड़ों को लेकर हालिया अमेरिका शटडाउन के चलते देरी हुई और अब ये आंकड़े फेड के अलगे पॉलिसी फैसले को प्रभावित कर सकते हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेंटीमेंट पॉजिटिव बना हुआ है और प्राइस वोलैटिलिटी आगामी ग्लोबल इकोनॉमिक इंडीकेटर पर निर्भर करेगी।


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