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जीएसटी की दरों में बदलाव का प्रस्ताव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 20 अगस्त को कर सकती हैं पेश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्रीय राजधानी में 20 अगस्त से शुरू होने वाली ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की दरों को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव पेश कर सकती हैं

जीएसटी की दरों में बदलाव का प्रस्ताव वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 20 अगस्त को कर सकती हैं पेश
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्रीय राजधानी में 20 अगस्त से शुरू होने वाली ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की दरों को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव पेश कर सकती हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीओएम का नेतृत्व बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की ओर से किया जाएगा। यह बैठक नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 20 अगस्त और 21 अगस्त को होगी।

केंद्र सरकार की सरलीकृत दो-स्लैब वाली जीएसटी संरचना अपनाने की योजना पर विचार-विमर्श के लिए छह सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति की बैठक होने की उम्मीद है।

इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लेने के लिए जीएसटी परिषद की 18-19 सितंबर को बैठक होने की उम्मीद है।

जीएसटी में प्रस्तावित बदलाव ऐसे समय में आया है जब वैश्विक निवेश फर्म मॉर्गन स्टेनली ने अन्य नीतिगत उपायों के साथ-साथ कर सुधारों को भारत की उपभोग वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

अपनी रिपोर्ट में मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि जीएसटी की दरों में सुधार, इनकम टैक्स में कटौती, मौद्रिक नीति में नरमी, नौकरियों में वृद्धि और वास्तविक मजदूरी के बढ़ने से भारत में घरेलू मांग और खपत के लिए आउटलुक बेहतर हो रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, छोटी अवधि में वॉल्यूम वृद्धि पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि उपभोक्ता नई जीएसटी व्यवस्था पर स्पष्टता आने तक अपने खर्च को टाल सकते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि नई जीएसटी दरें लागू होने के बाद, संभावित स्थगित मांग में सुधार के साथ-साथ चीजों के सस्ते होने के कारण भी समर्थन मिलना चाहिए, क्योंकि अप्रत्यक्ष कर सीधे तौर पर अफोर्डेबिलिटी से जुड़े हैं।

इसके अलावा, एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का कहना है कि आगामी वस्तु एवं सेवा कर में कटौती से भारत में दीर्घकालिक ऑटो मांग और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

एचएसबीसी ने कहा कि सरकार भारत में जीएसटी स्लैब को सरल बनाने पर विचार कर रही है और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को घटाकर 18 प्रतिशत किया जा सकता है और ऑटोमोबाइल पर जीएसटी दरों के ऊपर लगाया गया सेस भी समाप्त किया जा सकता है।


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