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डॉलर के मुकाबले 91 पार, रुपया विदेशी निवेशकों के इशारों पर डगमगाया

डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए के 91 का आंकड़ा पार करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय रुपए के दैनिक उतार-चढ़ाव में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं

डॉलर के मुकाबले 91 पार, रुपया विदेशी निवेशकों के इशारों पर डगमगाया
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बीओबी रिपोर्ट: एफपीआई की बिकवाली से बढ़ा रुपये का उतार-चढ़ाव

  • आरबीआई की डॉलर खरीद-बिक्री से आंकड़ों और असर में दिखा फर्क
  • भारत-अमेरिका समझौते तक अस्थिर रहेगा रुपया, मार्च 2026 तक उम्मीद
  • महंगाई पर राहत की खबर – सीपीआई दर 0.4% रहने का अनुमान

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए के 91 का आंकड़ा पार करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय रुपए के दैनिक उतार-चढ़ाव में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी निवेशकों की खरीद-बिक्री, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा डॉलर खरीदना या बेचना और फॉरवर्ड मार्केट में होने वाले बदलाव डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू को प्रभावित करते हैं।

हालांकि बैंक ने यह भी कहा कि कई बार आरबीआई डॉलर की खरीद-बिक्री करके बीच में दखल देता है, जिससे आंकड़ों और असली असर के बीच थोड़ा फर्क आ जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि दिसंबर में कुल 11 ट्रेडिंग दिनों में से 9 दिनों में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में ज्यादा बिकवाली की। बैंक का कहना है कि जब तक भारत और अमेरिका के बीच कोई समझौता नहीं होता, तब तक रुपया ऊपर-नीचे होता रह सकता है। यह समझौता मार्च 2026 तक हो सकता है।

हालांकि, बैंक ने साफ किया कि यह असर सेंटीमेंट आधारित है, न कि सीधे अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ।

बैंक ने यह भी कहा कि रोजमर्रा के चालू खाते से जुड़े लेन-देन, जैसे आईटी कंपनियों की कमाई या विदेश में काम करने वाले लोगों द्वारा भेजा गया पैसा और पूंजी से जुड़े निवेश जैसे विदेशी निवेश और विदेशी कर्ज भी बाजार को प्रभावित करते हैं। लेकिन इनका हिसाब हर दिन नहीं लगाया जाता, इसलिए इन्हें रुपये की रोजाना चाल से सीधे जोड़ना मुश्किल होता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत का बाहरी खाता अभी स्थिर स्थिति में है और चालू खाता नियंत्रण में है। ऐसे में रुपS की दिशा तय करने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का पैसा सबसे अहम भूमिका निभा सकता है। बैंक का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच होने वाले संभावित समझौते की उम्मीद बाजार के फैसलों को प्रभावित कर रही है।

बैंक ऑफ बड़ौदा की एक अन्य हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में भारत की खुदरा महंगाई नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। अनुमान है कि सीपीआई महंगाई दर 0.4 प्रतिशत के आसपास रह सकती है, जो आरबीआई के अनुमान 0.6 प्रतिशत से थोड़ी कम है।

बैंक ने कहा कि खाने-पीने की चीजों की कीमतों में नरमी और बाकी चीजों की कीमतों में स्थिरता बनी रहने से लोगों को राहत मिली है। हालांकि, हाल के दिनों में कुछ सब्जियों की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी जरूर देखने को मिली है।


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