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बुलन्दशहर की सातों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 11 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए बुलन्दशहर की सातों सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। 

बुलन्दशहर की सातों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प
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बुलन्दशहर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 11 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए बुलन्दशहर की सातों सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। इन सातों सीटों पर 67 प्रत्याशी मैदान में है जिनके भाग्य का फैसला कुल 24 लाख 92 हजार 556 मतदाता अपना वोट देकर करेंगे।

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने इस चुनाव में भारी भरकम प्रत्याशी उतारकर सभी दलों विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। हाॅट सीट मानी जा रही बुलन्दशहर की सीट से यूं तो सात प्रत्याशी हैं।

दो बार से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक बने हाजी अलीम इस बार हैट्रिक के इरादे से मैदान में हैं, वहीं भाजपा ने 2012 के रनर पूर्व कैबिनेट मंत्री वीरेन्द्र सिंह सिरोही व रालोद ने डिबाई से दो बार विधायक रहे गुड्डू पंडित को मैदान में उतारा है।

बीते चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के हाजी अलीम ने भाजपा के वीरेन्द्र सिंह सिरोही को 7947 वोट से हराया था। भाजपा इस सीट को जीतने के लिए पूरा दम लगाए हुए है, लेकिन रालोद ने गुड्डू पंडित को मैदान में उतारकर त्रिकोणात्मक संघर्ष की स्थिति बना दी है।

समाजवादी पार्टी (सपा)-कांग्रेस गठबंधन से सुजात आलम मैदान में हैं। बीते चुनाव में भी वे सपा से लड़े थे। उनको 10,542 वोट मिले थे। इस बार सपा चुनावी संघर्ष से बाहर नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का गढ माने जाने वाली डिबाई सीट पर इस बार उनके परिवार का कोई सदस्य प्रत्याशी नहीं है।

बीते दो चुनाव में इस सीट से गुड्डू पंडित ने कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह को हराकर चुनाव जीता था। लोध बाहुल्य इस सीट पर बसपा ने देवेन्द्र भारद्वाज, सपा ने हरीश लोधी, भाजपा ने डा. अनीता लोधी और रालोद ने सत्यवीर यादव को मैदान में उतारा है। प्रत्याशियों की कुल संख्या 07 है। इस सीट पर मुख्य संघर्ष बसपा, सपा, भाजपा के बीच है।

शिकारपुर से 2012 में सपा के टिकट पर जीते मुकेश शर्मा इस बार रालोद, खुर्जा से बसपा से टिकट पर दो बार विधायक रहे व 2012 में बसपा प्रत्याशी के रूप में मुकेश शर्मा से हारे अनिल शर्मा, कांग्रेस के सपा समर्थित उदयकरण सिंह दलाल व बसपा ने पूर्व एमएलसी मुकुल उपाध्याय को मैदान में उतारा है।

कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा से विद्रोह कर शांति स्वरूप शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं सरदार बीएम सिंह की पार्टी राष्ट्रीय किसान विकास पार्टी ने रिटायर्ड कर्नल जेपी सिंह को टिकट दिया है। ये दोनों प्रत्याशी भाजपा को ही नुकसान पहुंचायेंगे। इस सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबले की सम्भावना बनी है।

खुर्जा (सु.) से बीते चुनाव में कांग्रेस के बंशी सिंह पहाड़िया 37304 वोट से बसपा के होराम सिंह को हराकर जीते थे। इस बार वे सपा के समर्थन से मैदान में हैं। भाजपा ने बिजेन्द्र खटीक, बसपा ने अर्जुन सिंह, रालोद ने मनोज गौतम को टिकट दिया है। कुल 08 प्रत्याशी हैं। मनोज गौतम पूर्व में बसपा में थे। टिकट न मिलने पर विद्रोही बने हैं। मुख्य संघर्ष कांग्रेस, भाजपा, बसपा में है।

सिकंदराबाद सीट से 2012 में भाजपा की विमला सोलंकी मात्र 123 वोटों से बसपा के सलीम अख्तर को हराकर विधायक बनी थीं। भाजपा ने फिर से उन पर दांव लगाया है। बसपा ने हाजी मो0 इमरान, सपा ने राहुल यादव, रालोद ने जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष आशा यादव को मैदान में उतारा है।

राहुल यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद हैं और उनके पिता जितेन्द्र यादव सपा के एमएलसी हैं। बीते चुनाव में जितेन्द्र यादव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में थे और 36,101 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे।

यूं तो मैदान में कुल 07 प्रत्याशी हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला इन चारों के बीच ही माना जा रहा है। स्याना विधानसभा सीट से 2012 के विजेता दिलनवाज खान इस बार बसपा प्रत्याशी हैं। वहीं भाजपा ने देवेन्द्र सिंह लोधी, रालोद ने ठाकुर सुनील सिंह, कांग्रेस ने आरिफ मौहम्मद सैय्यद को टिकट दिया है। कुल मिलाकर 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। बीते चुनाव में कांग्रेस के दिलनवाज खान ने बसपा के देवेन्द्र भारद्वाज को 1664 वोट से हराया था।

रालोद से चुनाव लड़ रहे सुनील सिंह बीते चुनाव में सपा के टिकट पर लड़े और 40,935 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे। वहीं भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र राणा को मात्र 9045 वोट मिले थे। इस सीट पर लोध राजपूत बहुतायत में हैं।

पिछले चुनाव में कल्याण सिंह की पार्टी के प्रत्याशी 42,470 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे और भाजपा की हार का प्रमुख कारण बने थे। इस बार कल्याण के पुत्र राजवीर सिंह भाजपा सांसद हैं और प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हैं, वह भाजपा के पक्ष में जुटे हैं। मुख्य संघर्ष भी बसपा,भाजपा, रालोद व कांग्रेस में नजर आ रहा है।

अनूपशहर सीट पर 11 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं, इनमें दो बार के विजेता बसपा के गजेन्द्र सिंह, भाजपा के संजय शर्मा, रालोद के होशियार सिंह, सपा के हिमायत अली हैं। बीते चुनाव में गजेन्द्र सिंह ने सपा के हिमायत अली को लगभग साढे तीन हजार वोट से हराया था।

भाजपा के हेवीवेट उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री 12,247 वोट लेकर पांचवें स्थान पर और जन क्रांति पार्टी (जनक्रापा) के होशियार सिंह 41296 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

होशियार सिंह बीते चार वर्ष से भाजपा में सक्रिय थे। टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने संजय शर्मा को टिकट दे दिया। अब वह रालोद के टिकट पर मैदान में हैं। वह 1989 में जनता दल व 1996 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर इस सीट से विधायक रहे हैं। मुख्य संघर्ष भी भाजपा, बसपा, रालोद व सपा प्रत्याशी के बीच हैं।
इस बार के चुनाव में किसी प्रकार की लहर नजर नहीं आ रही। सभी दलीय प्रत्याशी अपने दलों के चुनावी घोषणा पत्र, अपनी छवि व स्थानीय मुद्दों को ढाल बनाकर मैदान में उतरकर एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे हुए हैं।

घात-प्रतिघात का दौर भी लगभग सभी दलों में चल रहा है। सभी दलों के दिग्गज जिनमें बहन मायावती, अमित शाह, चौधरी अजित सिंह, अखिलेश यादव, राजनाथ सिंह आदि शामिल हैं, यहां आकर प्रचार कर गए हैं। मतदान 11 फरवरी को होगा। मतदाताओं की कुल संख्या 24,92,556 है। इनके लिए पूरे जिले में 2561 पोलिंग बूथ बनेंगे।


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