बिल्डरों को शून्य काल अवधि लाभ देने की होगी जांच
बसपा व सपा शासन काल में नियम के विपरीत बिल्डरों को शून्य काल अवधि का लाभ देने वाले तीनों प्राधिकरणों के तत्कालीन अधिकारियों की शामत आने वाली है

ग्रेटर नोएडा। बसपा व सपा शासन काल में नियम के विपरीत बिल्डरों को शून्य काल अवधि का लाभ देने वाले तीनों प्राधिकरणों के तत्कालीन अधिकारियों की शामत आने वाली है। सपा एमएलसी शतरूद्र प्रकाश की शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में सपा व बसपा शासन काल में बिल्डरों को शून्य काल अवधि का लाभ देकर प्राधिकरण की आर्थिक क्षति पहुंचाने का जांच कराने का निर्देश दिया है।
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच करने का आदेश भी जारी कर दिया है। जांच करने का जिम्मा यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरूणवीर सिंह को सौंपी है। मुख्यमंत्री आदेश के बाद भी नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 26 अप्रैल को हुई बोर्ड बैठक में कुछ बिल्डरों को फिर शून्य काल अवधि का लाभ दे दिया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी बिल्डर नोएडा का हवाला देकर शून्य काल अवधि का लाभ देने की मांग करने लगे हैं। बसपा शासन काल में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिल्डरों को दस फीसदी रजिस्ट्रेशन शुल्क लेकर आबंटन पत्र जारी कर दिया था। यहां तक दो साल तक बिना ब्याज के किश्त जमा करने की छूट भी दे दी थी।
जबकि इससे पहले 2005-2006 में तीस फीसदी आबंटन राशि लेकर बिल्डरों को आबंटन पत्र जारी किया गया था। 2012 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद सपा सरकार भी बिल्डरों पर मेहरबान हो गई। मार्च 2016 में यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए छह बिन्दुओं को हवाला देकर शून्य काल अवधि का लाभ दिया गया।
जबकि जिन प्रकरणों में उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के कारण आबंटन पटटा र्प्रलेख बाधित रहने अथवा निर्माण कार्य पर रोक के प्रकरण में शून्य काल पर विचार हो सकता है। इसके अलावा जितने भी कृत्रिम कारण प्राधिकरण द्वारा बनाए गए, वे प्राधिकरण की राजस्व क्षति के लिए बनाए गए। जिस प्लॉट पर एप्रोज मार्ग न होने पर सक्षम स्तर की रोक के बाद भी निर्माण हुआ है, वहां शून्य काल देने पर प्राधिकरणों का करोड़ों रुपए के राजस्व क्षति हुई। इसका फायदा बिल्डरों ने उठाया।
यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में 2012 व 2013 के दौरान करीब दस बिल्डरों ने कई बार शून्य काल अवधि का लाभ उठाया। लाभ उठाने के बाद भी बिल्डरों ने मौके पर निर्माण कार्य नहीं किया और निवेषकों को फ्लैट पर कब्जा भी नहीं दिया। यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने तीन जनवरी 2017 को 58वीं बोर्ड बैठक में बिल्डरों को शून्य काल अवधि का लाभ देने के प्रावधान में संशोधन किया। प्राधिकरण सिर्फ तीन प्रावधानों के साथ बिल्डरों को शून्य काल अवधि का लाभ देने का प्रस्ताव पास किया। जिन बिल्डरों को कोर्ट के स्थगन आदेश से आबंटन पट्टा प्रलेख प्रभावित है उस दौरान तक लाभ लाभ देने की बात कही।
शासनादेश के कारण पटटा प्रलेख निष्पादित नहीं हो पाया है। जितनी जमीन पर कोर्ट का स्थगन आदेश है उतनी का भी लाभ दिया जाएगा। इसके बाद यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण में किसी बिल्डर को जीरो पीरियड का लाभ नहीं दिया गया। नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में इसके बाद बिल्डरों को सपा शासन काल में पारित आदेश पर जीरो पीरियड का लाभ दिया जा रहा है।
सपा विधायक ने मुख्यमंत्री से मांग रखी है कि राज्य स्तर पर नीति निर्धारित करने के बाद सीईओ को उसे निस्तारित करने का आदेश दिया जाए। मुख्यमंत्री ने इसकी जांच कराने का फैसला लिया है लेकिन अभी तक कोई जांच अधिकारी नियुक्ति नहीं किया है। यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में सपा शासन काल में बिल्डरों को शून्य अवधि काल का लाभ देने की जांच अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार ने बैठा दी है। डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि शिकायत मिली है कि नियम के विपरीत यमुना में बिल्डरों को शून्य काल अवधि का लाभ दिया गया है।
इसके अलावा बिल्डरों को अतिरिक्त भूखंड भी आबंटित किया गया है। अध्यक्ष ने इसकी सीईओ डॉ. अरूणवीर सिंह से जांच करने का निर्देश दिया है। सीईओ डॉ. अरूणवीर सिंह ने बताया कि अध्यक्ष का आदेश आने पर इसकी जांच शुरू कर दी जाएगी।


