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बजट में गांव, गरीब और रेलवे में सुरक्षा पर जोर

नयी दिल्ली ! भ्रष्टाचार रोकने के लिए नोटबंदी के विरोध को निराधार बताते हुये मोदी सरकार ने 2017 के आम बजट में गरीबों, किसानों और वेतनभाेगियों को

बजट में गांव, गरीब और रेलवे में सुरक्षा पर जोर
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नयी दिल्ली ! भ्रष्टाचार रोकने के लिए नोटबंदी के विरोध को निराधार बताते हुये मोदी सरकार ने 2017 के आम बजट में गरीबों, किसानों और वेतनभाेगियों को राहत देेते हुये अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अनके घोषणायें की है और रेलवे को सुरक्षित एवं यात्रा को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आज मोदी सरकार के संसद में पेश चौथे बजट में ग्रामीण क्षेत्रों , बुनियादी सुविधा और गरीबी उन्मूलन के लिए संसाधनों में रिकार्ड बढोतरी की घोषणा के साथ ही नोटबंदी के असर से जल्दी ही निजात पाने का भरोसा जताया गया है। पहली बार 92 वर्षाें के इतिहास में रेल बजट को आम बजट में समाहित करते हुये श्री जेटली ने रेलवे के लिये एक लाख 31 हजार करोड रूपये का प्रावधान किया जिसमे 55 हजार 900 करोड रूपये सरकार देगी। कम आय वालों को राहत देने के लिए निजी आयकर की दर को आधा करने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था की रीढ माने जाने वाले छोटे उद्यमियोें काे राहत और मोटी आमदनी वालों पर कर का बोझ बढाया गया है। चुनाव सुधारों की दिशा में अहम कदम उठाते हुये राजनीतिक दलाें को मिलने वाले नकद चंदे को किसी से 20 हजार रुपये से घटाकर केवल दो हजार रुपये कर दिया गया है। भ्रष्टाचार काबू करने की दिशा में एक और कदम बढाते हुये नकद लेनदेन की सीमा तीन लाख रुपये सीमित कर दी गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बजट को गांव,गरीब और किसान को समर्पित बताया है वहीं विपक्ष ने इसे दिशाहीन और निराशाजनक बताते हुये अर्थव्यवस्था में सुस्ती लाने वाला बताया है। उद्योग जगत ने बजट का स्वागत करते हुये इसे विकासोन्मुख बताया। बजट घोषणाओं के बाद शेयर बाजाराें ने लंबी छलांग लगायी। सेंसेक्स 486 अंक झूमा और निफ्टी ने 155 अंक की छलांग लगायी। डॉलर के मुकाबले रुपया भी 39 पैसे चढ गया। बजट में कार्पोरेट पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला गया है बल्कि न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) में कुछ राहत दी गयी है। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाने वाले गुटखा, पान मसाला, बीड़ी और तंबाकू आदि पर शुल्क बढा दिया गया है। स्वच्छ ईंधन के लिए एलपीजी पर सीमा शुल्क ढाई फीसदी कर दिया गया है।

बजट में कृषि ऋण के लिए 10 लाख करोड़ रुपये, बुनियादी क्षेत्र के लिए रिकार्ड 3.96 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ ही वर्ष 2019 तक गरीबों के लिए एक करोड़ घर बनाने एवं उस समय तक 50 हजार ग्राम पंचायतों में गरीबी समाप्त करने का एलान किया गया है। इसमें शिक्षा और स्वास्थ्य को विशेष तरजीह दी गयी है। शिक्षा का बजट 10 फीसदी बढाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन में मददगार मनरेगा के लिए 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
इसमें कहा गया है कि सरकार का एजेंडा प्रशासन की गुणवत्ता तथा जनता के जीवन स्तर में आमूल परिवर्तन लाना, समाज के विभिन्न तबकों विशेषकर युवाओं एवं कमजोर वर्ग में शक्ति का संचार तथा देश में भ्रष्टाचार, कालाधन और अपारदर्शी राजनीतिक वित्त पोषण की बुराइयों को समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि बजट 10 स्तंभों ‘किसान, गाँव, युवा, गरीब, इन्फ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय क्षेत्र, डिजिटल इंडिया, सरकारी सेवा, मितव्ययता और सरल कर पर आधारित है।
नोटबंदी को दीर्घकालिक लिहाज से अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत लाभकारी बताते हुये नौकरीपेशा लोगों को कर में 12,500 रुपये की सालाना बचत का तोहफा देते हुये ढाई लाख से पाँच लाख रुपये तक की आय पर कर की दर 10 फीसदी से घटाकर आधी पाँच फीसदी करने का एेलान किया गया है। इससे कर राजस्व 15500 करोड़ रुपये घटेगा जबकि 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये की आय पर 10 फीसदी अधिभार लगाने का प्रस्ताव किया गया है जिससे 2700 करोड़ रुपये का अतिरक्त राजस्व मिलेगा।
वर्ष 2017-18 के लिए कुल 21,46,735 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है। कुल बजट में कर से 12,27,014 करोड़ रुपये, गैर-कर राजस्व मद से 2,88,757 करोड़ रुपये तथा ऋण और दूसरे मदों से 6,30,964 करोड़ रुपये की पूँजी प्राप्त होने का अनुमान है। वित्तीय प्रबंधन पर जोर देते हुये आगामी वित्त वर्ष में राजस्व राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा गया है जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में इसे और कम कर तीन प्रतिशत पर रखने की बात कही गयी है। मौजूदा वित्त वर्ष में अद्यतन आँकड़ों के अनुसार यह जीडीपी के 3.5 प्रतिशत पर है।

वर्ष 2017-18 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए दस फीसदी से अधिक बढोतरी करते हुए 2,74,114 करोड रूपये का प्रावधान किया है।

बजट में छोटे उद्यमियों स्टार्टअपों को भी राहत दी गयी है। जिन उद्यमियों का सालाना कारोबार 50 करोड़ रुपये तक है उनके लिए आयकर घटाकर 25 प्रतिशत कर दी गयी है। इससे 6.67 लाख कंपनियाँ लाभांवित होंगी तथा सरकारी खजाने को 7,200 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान होगा। स्टार्टअप को तीन साल के लिए आयकर में छूट दी गयी थी। पिछले बजट में इन छूट वाले वर्षों का चयन कंपनी के पहले पाँच साल करने का विकल्प दिया गया था। अब स्टार्टअप पहले सात साल में से किसी भी तीन साल के लिए आयकर में छूट का लाभ उठा सकेंगे।
बजट में कहा गया है कि देश में बड़ी संख्या में लोग कर चोरी करते हैं। पिछले वित्त वर्ष के दौरान आयकर रिटर्न भरने वाले 3.7 करोड़ लोगों में 99 लाख ने अपनी आमदनी ढाई लाख रुपये से कम दिखायी जो कर के दायरे से बाहर है। 1.95 करोड़ लोगों ने अपनी आमदनी ढाई लाख से पाँच लाख रुपये के बीच तथा 52 लाख ने पाँच लाख रुपये से 10 लाख रुपये की बीच दिखायी। सिर्फ 24 लाख लोगों ने अपनी आमदनी 10 लाख रुपये से अधिक तथा 1.72 लाख लोगों ने 50 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी दिखायी है। वर्ष 2015 में विदेश यात्रा करने वाले लोगों की संख्या दो करोड़ रही है जबकि पिछले पाँच साल में सवा करोड़ कारें खरीदी गयी हैं। जाहिर है कि बड़े पैमाने पर कर चोरी हो रही है।


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