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बजट वास्तव में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया: जेटली

 बजट 2018-19 में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मध्य वर्ग और कॉरपोरेटर सेक्टर को राहत नहीं देने को लेकर हो रही आलोचना

बजट वास्तव में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया: जेटली
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नई दिल्ली। बजट 2018-19 में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मध्य वर्ग और कॉरपोरेटर सेक्टर को राहत नहीं देने को लेकर हो रही आलोचना के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि उनका बजट वास्तव में समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है, जिसमें सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है।

जेटली ने 2019 के आम चुनाव से पहले अपने आखिरी पूर्ण बजट को गुरुवार को संसद में पेश किया। जेटली ने कहा कि क्या तनावग्रस्त कृषि क्षेत्र पर ध्यान देना भारत के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या ग्रामीण मांग में इजाफा होने से उद्योगों को बढ़ावा नहीं मिलेगा, जो फिलहाल कर्ज के भारी बोझ से जूझ रहे हैं, जबकि बैंक अपने फंसे हुए कर्ज से जूझ रहे हैं।

उन्होंने कहा, "क्या कृषि क्षेत्र पर जोर देने तथा जीर्ण अवसरंचना को सुधारना राष्ट्रहित में नहीं है।"उन्होंने कहा कि "कृषि क्षेत्र पिछले सात-साठ सालों से काफी अधिक तनावग्रस्त है।"

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र का तनाव 'वास्तविक' है। उन्होंने कहा कि बजट के पीछे का दर्शन यह है कि यहां 'अर्थव्यवस्था के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां बड़े पैमाने पर सरकारी समर्थन की जरूरत है।' हालांकि सेवा क्षेत्र बढ़िया कर रहा है तथा पिछली दो तिमाहियों में विनिर्माण क्षेत्र ने भी रफ्तार पकड़ी है।

खरीफ की फसल के लिए बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर लागत का डेढ़ गुणा कर दिया गया है, साथ ही संस्थागत कृषि ऋण को वित्त वर्ष 2018-19 में 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।

खाद्य पदार्थो, उर्वरक और पेट्रोलियम उत्पादों पर पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 15 फीसदी अधिक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जो 2.64 लाख करोड़ रुपये है।

बजट में सबसे अधिक जोर आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना पर दिया गया, जिसका लक्ष्य 50 करोड़ गरीब लोगों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है।

आयुष्मान योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का बीमा दिया जाएगा, जबकि बजट में इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।


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