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बौद्ध धर्मगुरू और नेताओं ने दी पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को श्रद्धांजलि

बौद्ध धर्मगुरु, ग्यालवांग द्रुक्पा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष लोबसांग सांगे ने मंगलवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

बौद्ध धर्मगुरू और नेताओं ने दी पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को श्रद्धांजलि
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लेह/धर्मशाला | बौद्ध धर्मगुरु, ग्यालवांग द्रुक्पा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष लोबसांग सांगे ने मंगलवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। सांगे ने चीन के विरोध के बावजूद निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के साथ मुखर्जी की मुलाकात को भी याद किया।

उन्होंने एक शोक संदेश में कहा, "तिब्बती लोगों और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की ओर से मैं भारत सरकार, भारतीय लोगों और उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। वे भारत के सबसे उल्लेखनीय और सभी पार्टियों में सम्मानित नेताओं में से एक थे। प्रणव जी ने अपने 5 दशकों के राजनीतिक करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर बेदाग समर्पण के साथ भारत की सेवा की है। 2016 में, पूर्व राष्ट्रपति ने चीनी सरकार के कड़े विरोध के बावजूद राष्ट्रपति भवन में अन्य नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त सम्मानितों के साथ परम पावन दलाई लामा की भी मेजबानी की थी।"

वहीं द्रुक्पा वंश के 17 वीं शताब्दी के हेमिस मठ के प्रमुख ग्यालवांग द्रुक्पा ने भी दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के कामों को याद किया।

उन्होंने कहा, "भारी मन से मैं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के परिवार के लिए प्रार्थना करता हूं और अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। उनकी बेटी शर्मिष्ठा के लिए भी संवेदनाएं जताता हूं जो हमारे पर्यावरणीय प्रयासों की समर्थक हैं। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को व्यक्तिगत रूप से जानने के बाद एक विद्वान, राजनेता और समर्पित सेवक उनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। हमने किसी ऐसे शख्स को खो दिया है, जिसने एक मिसाल पेश करते हुए देश का नेतृत्व किया।"

बता दें कि 21 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे मुखर्जी (84) का सोमवार की शाम को राष्ट्रीय राजधानी में निधन हो गया।


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