बसपा के साथ स्वराज इंडिया लगाएगी प्रमुख दलों के मतों में सेंध, रणनीति बनाने में जुटे योद्धा
भाजपा, कांग्रेस और “आप” भले ही अपनी अपनी जीत का दावा करें, लेकिन मन ही मन इन सभी पार्टियों को इस बार स्वराज इंडिया के साथ साथ बहुजन समाज पार्टी को जाने वाले मतों की चिंता जरूर है

अनिल सागर
नई दिल्ली, 19 अप्रैल (देशबन्धु)। दिल्ली नगर निगम चुनाव में किस्मत आजमा रही भाजपा, कांग्रेस और “आप” भले ही अपनी अपनी जीत का दावा करें, लेकिन मन ही मन इन सभी पार्टियों को इस बार स्वराज इंडिया के साथ साथ बहुजन समाज पार्टी को जाने वाले मतों की चिंता जरूर है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी दिल्ली के चुनाव में बीते चुनाव के मुकाबले में इस बार जमीन पर बहुत कम नजर आ रही है। बसपा ने 2012 के चुनाव में 253 वार्ड में लड़कर 15सीटों पर कब्जा किया था, जिसमें उत्तरी दिल्ली में सात, दक्षिणी दिल्ली में पांच और पूर्वी दिल्ली में तीन पार्षदों को विजय मिली थी।
दक्षिणी दिल्ली में तो उसे सत्ता में भागीदारी मिली और डिप्टी मेयर का पद भी मिला। इससे पहले यदि विधानसभा चुनाव की बात करें तो दिल्ली में बसपा सदैव अपनी मौजूदगी का अहसास करवाती रही है और वर्ष 2008 में तो उसके दो विधायक राम सिंह नेता व सुरेंद्र कुमार विधानसभा में नुमाइंदगी कर रहे थे। वर्ष 2013 के चुनाव में पार्टी को सीट बेशक न मिली हो लेकिन नरेला में रनरअप रही पार्टी ने करीबन छह फीसदी मत हासिल किए जबकि 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी की लहर के बाद पार्टी सिमटती चली गई और 70 में से 69 विधानसभा क्षेत्रों में उसकी जमानत जब्त हो गई।
बसपा ने नरेंद्र मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में भी चौथा पायदान हासिल किया।
यहां सबसे ज्यादा मत उत्तर पूर्वी दिल्ली में 28 हजार से अधिक मिले लेकिन पूर्वी, उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के अलावा पार्टी 10 से 15 हजार के बीच ही सिमट गई।
इस बार निगम में 211 उम्मीदवारों को बसपा ने उतारा है और उम्मीद कर रही है कि इस बार भी उसे दर्जन भर सीटों पर विजय अथवा दूसरे नंबर की पार्टी होने का तमगा मिल सकता है।
पार्टी के दिल्ली प्रभारी धर्मवीर अशोक कहते हैं कि आम आदमी पार्टी से सभी को बहुत उम्मीद थी लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार उम्मीद पर खरी साबित नहीं हो पाई। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता जिन घरों में जा रहे हैं वहां उन्हें मुंह की खानी पड़ रही है और उन्हें टका सा जवाब मिल जाता है कि अब बहुत देर हो चुकी है इसलिए वे उनसे उम्मीद न करें क्योंकि इन घरों में बसपा का हाथी पहले ही अपनी पैठ बना चुका है।
वह बताते हैं कि बसपा ने दो साल पहले ही लगभग 150 उम्मीदवार सक्रिय कर दिए थे और वे अपना प्रचार कर रहे थे।
बसपा नेताओं के मुताबिक करीबन सौ महिलाओं के साथ सभी जाति धर्म, संप्रदाय के लोगों को उम्मीदवार बनाने वाले बसपा नेता मानते हैं कि उन्हें सभी समुदायों, जातियों में वोट मिलेंगे जबकि राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस बार बसपा के साथ साथ स्वराज इंडिया भी प्रमुख दलों के मतों में सेंध लगाएगी और इसका लाभ किसके हिस्से आएगा यह 26 अप्रैल को होने वाली मतगणना में पता चलेगा।


