विस चुनाव में हार के बावजूद बसपा नेताओं में बदलाव नहीं
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी बसपा के नेताओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
गाजियाबाद। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी बसपा के नेताओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है। नगर निकाय चुनाव में जिला अध्यक्ष से लेकर कोर्डिनेटर तक टिकट के बदले नोट मांगने की राह पर ही चल रहे है। बताया गया है कि पार्टी के बड़े नेताओं की नीयत में भी खोट है। यही वजह है कि अधिसूचना जारी होते ही अनेक बसपा नेता पार्टी छोड़कर इधर-उधर भाग रहे है। राजनीतिक सूत्रों की माने तो नगर पालिका के सदस्य पद से लेकर अध्यक्ष पद तक के टिकट के लिए पार्टी फंड के नाम पर पैसा मांगे जा रहे।
नगर निगम गाजियाबाद के मेयर पद के टिकट को लेकर तो बसपा नेताओं में इतनी रस्साकसी चली कि भावी उम्मीदवार सत्यपाल चौधरी ऐन वक्त पर हाथी का दामन छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए। चर्चा है कि उनसे टिकट के लिए अच्छा खासा पैसा मांगा गया। अब वे अपनी पत्नी मुन्नी चौधरी को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे है। इनके साथ ही बसपा को साहिबाबाद इलाके में मजबूत करने वाले पार्षद आदिल मलिक भी सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी छोड़कर सपा में पहुंच गए है। चर्चा है कि आदिल मलिक से भी पार्षद के टिकट के लिए पैसा मांगा जा रहा था।
इतना ही नहीं लेन-देन के चलते बसपा को खड़ा करने वाले पूर्व जिला अध्यक्ष रामप्रसाद प्रधान को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बताया गया है कि रामप्रसाद प्रधान के पास उगाही के सबूत हैं। इन सबूतों पर कई कोर्डिनेटर के हस्ताक्षर है। इसी कड़ी में प्रशान्त चौधरी एवं उनकी पत्नी हेमलता चौधरी के आवास पर भी बसपा की जगह भाजपा का बोर्ड टंग गया है। सुधन रावत बेशक फिलहाल बसपा में हो लेकिन वो भी नया ठिकाना तलाश रहे हैं। बताया गया है कि सिकंदर यादव को लेकर भी बसपा में खींचतान चल रही है।


