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त्रिपुरा के ब्रू शरणार्थियों का प्रदर्शन

35,000 ब्रू शरणार्थियों ने केंद्र सरकार पर राशन की सुविधा फिर से शुरू करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है

त्रिपुरा के ब्रू शरणार्थियों का प्रदर्शन
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अगरतला। मिजोरम में विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के साथ ही उत्तरी त्रिपुरा के छह शिविरों में रहने वाले लगभग 35,000 ब्रू शरणार्थियों ने केंद्र सरकार पर राशन की सुविधा फिर से शुरू करने और शिविरों में वापस रहने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

इन शरणार्थियों का पिछले दो सप्ताह से राशन बंद कर दिया गया है।
इस जुलाई में गृह मंत्रालय, त्रिपुरा एवं मिजोरम सरकार और ब्रू प्रतिनिधियों ने 25 सितंबर को शिविर हटाने और राशन आपूर्ति बंद करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।

पच्चीस सितंबर के बाद से कुछ हजार ब्रू शरणार्थी मिजोरम चले गए।
पूर्वोत्तर जीतने के मिशन को लेकर चल रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिजोरम विधानसभा चुनावों में मुश्किल चुनौती का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ब्रू मतदाताओं ने शिविर में वापस रहने के लिए और उनकी सभी मांगों के पूरी होने तक गृह मंत्रालय पर दबाव बनाने की रणनीतियां शुरू कर दी हैं।

ब्रू शिविर के एक नेता ने बताया कि मिजोरम में सत्तारुढ़ कांग्रेस ब्रू मतदाताओं को जीतने के लिए चुप्पी साधे बैठी है।

उत्तरी त्रिपुरा के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने एक अक्टूबर से प्रभावी राशन की आपूर्ति बंद कर दी है जिसके कारण उन्हें खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए उन्होंने राशन और अन्य राहत सहायता की बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

नवगठित मिजोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स समन्वय समिति के नेतृत्व में बढ़ी संख्या में शरणार्थियों ने अपनी मांगों को लेकर रविवार को नैसिंह पैरा शिविर से आठ किलोमीटर लंबी शांतिपूर्ण रैली निकाली।

बाद में चार सदस्यों वाला प्रतिनिधिमंडल उपखंडीय मजिस्ट्रेट नाब कुमार जमातिया से मिला और गृह मंत्री राजनाथ सिंह को संबोधित एक ज्ञापन उन्हें सौंपा।

ब्रू प्रतिनिधियों ने राशन की बहाली की मांग के अलावा ज्ञापन में मिजोरम में अपने पैतृक घर लौटने के लिए सात मांगों को उठाया जिसमें मिजोरम में ब्रू के लिए एक स्वायत्त जिला परिषद का गठन, प्रत्येक परिवार के लिए पांच हेक्टेयर भूमि देश वापसी के वक्त प्रत्येक परिवार को चार लाख रुपये दिया जाना शामिल था।

मिजोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम ने शिविरों में रहने वाले शरणार्थियों के प्रतिनिधि के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन समझौते पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद समन्वय समिति का गठन किया गया और शरणार्थियों के देश वापसी का विरोध किया गया।

उनके विरोध के परिणामस्वरूप लगभग पांच हजार परिवारों में से केवल 54 परिवार वापस लौटे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राशन आपूर्ति को रुकने के बाद खाद्य संकट बढ़ गया है।

ब्रू शरणार्थी मिजोरम विधानसभा चुनाव से पहले अपनी मांगों को पूरा कराने की कोशिश कर रहे हैं।


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